The Chetak News

भ्रष्टाचार का अड्डा बने उत्तर प्रदेश के ब्लड बैंक

“शशिकांत मिश्रा” : उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के मामलो में जीरो टॉलरेंस की कितने भी दावें क्यो न कर ले लेकिन जमीनी स्तर पर स्वास्थ विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है जो चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश में कार्यरत लगभग सभी ब्लड बैंक मानक के अनुसार नही चल रहे है। लगभग हर जगह बड़े पैमाने पर खून की खरीद-फरोख्त का रैकेट सक्रिय है।

ताजा मामला गोंडा जिले का है गोंडा में खून की कालाबजारी के मामले में जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही द्वारा कुछ दिन पहले ही कार्यवाही करते हुए ब्लड बैंक के सभी 8 कर्मचारियों को हटा दिया गया और भ्रष्टाचार की जांच हेतु एक समिति का गठन भी किया गया। कलाबाजरी व खून के खरीद -फरोख्त के मामले में गोंडा जिले के कई सामाजिक संगठन भी जांच के घेरे में आ गये है।

कुछ सामाजिक संगठनों का आरोप है कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने हेतु हमें साजिश के तहत बदनाम करने का प्रयास कर रही है। ऐसे ही एक सामाजिक संगठन के निवेदन पर कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता नूतन ठाकुर जमीनी हकीकत जानने गोंडा आई थी जहां प्रेसवार्ता कर नूतन ठाकुर जी ने बताया कि जिन सामाजिक संगठनों को साजिश के तहत फसाया जा रहा वो उनकी हर प्रकार से मदद करेंगी साथ ही खून की कलाबाजरी करने वालो पर सख्त कार्यवाही हो पूरे मामले पर नजर बनाई हुई है।

यह सिर्फ एक गोंडा जिले का मामला नही है ऐसा ही मामला कुशीनगर जिले का भी है यहां जिला चिकित्सालय रवींद्र नगर में स्थित ब्लड बैंक जो महिला उत्पीड़न और ब्लड की कलाबाजरी का अड्डा बन चुका है यहां ब्लड बैंक के दबंग इंचार्ज अरविंद राय द्वारा जमकर खून की कलाबाजरी की जा रही है लेकिन प्रयाप्त सबूत होने के बाद भी अबतक योगी सरकार इनके उपर कोई कार्यवाही नही सकी है। हम द चेतक न्यूज के माध्यम से ब्लड बैंक में ब्याप्त भ्रष्टाचार को प्रमुखता से उठाते रहे है लेकिन राजनीतिक सरंक्षण की वजह से कोई ठोस कार्यवाही नही हो पाती है।

अब सवाल यह है रक्तदान महादान का नारा तो पूरे जोश के साथ लगाया जाता है लेकिन तब वह जोश व जागरूकता कहा चली जाती है जब उसी रक्त की खरीद-फरोख्त की जाती है। ऐसे बहुत सारे लोग है जो निशुल्क सेवाभाव से रक्तदान करते है और जरूरत पड़ने पर जरूरतमंद लोगों को रक्तदान कर जीवनदान भी देते है ऐसे में खुन कि कलाबाजरी की खबरे सुनकर उनको दुःख जरूर होगा और एकबार जरूर सोचेंगे आखिर रक्तदान करे तो क्यो और किस लिए कही उनका भी रक्त का सौदा तो नही होता। ऐसे तमाम सवाल है लेकिन जवाब किसी के पास नही। क्या हम अंधे हो चुके है या होने का नाटक कर रहे है। सबकुछ देखते-सुनते हुए भी चुप्पी आख़िर कब-तक..?

Exit mobile version