
आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज
पडरौना, कुशीनगर : प्रदेश में पूर्वांचल के यादव सिंह के नाम से मशहूर एनआरएचएम घोटाले में तिहाड़ जेल में सजा काट चुके कुशीनगर जिले के फार्मासिस्ट अशोक यादव का नाम एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। अशोक यादव के खिलाफ जिलाधिकारी एस राजलिंगम के आदेश पर एसडीएम पडरौना की रिपोर्ट के आधार पर नकली सेनेटाइजर के मामले में पडरौना कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है लेकिन जिलाधिकारी के आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद भी आरोपी की गिरफ्तारी न होना अशोक यादव के रसूख को दर्शाता है।
मिली जानकारी के मुताबिक कुशीनगर सीएमओ कार्यालय में पिछले बाइस वर्षों से जमे अशोक यादव के खिलाफ नकली सेनेटाइजर के मामले में हो रहे जांच में उपजिलाधिकारी पडरौना के रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी के आदेश पर पडरौना कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। उपजिलाधिकारी द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में यह लिखा है कि सीएमओ कार्यालय के सीएसएमडी विभाग में तैनात फार्मासिस्ट अशोक यादव द्वारा बीते 15 मई को एमसीएच विंग को एक 5 लीटर का सेनेटाइजर उपलब्ध कराया गया था जो कि खराब था और उसमें पानी की मात्रा ज्यादा थी, इसकी शिकायत मिलने पर अशोक यादव ने वह सेनेटाइजर वापस मंगा लिया तथा बाजार से दूसरा सेनेटाइजर खरीदकर एमसीएच विंग को उपलब्ध कराया। इस मामले का खुलासा वैक्सिननेशन सेंटर में रखे सेनेटाइजर की वजह से हुआ जिसके ऊपर किसी का ध्यान नहीं गया तथा यहां भी वही नकली सेनेटाइजर रखा हुआ था। इस मामले में जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने उपजिलाधिकारी पडरौना को जांचकर सम्बन्धित दोषी के विरुद्ध कार्यवाही के आदेश दिए थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उपजिलाधिकारी द्वारा जांचकर दिए गए रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में एफआईआर में लिखा गया है कि जिलाधिकारी एस राजलिंगम द्वारा इस मामले के सम्बन्ध में दिए गए जांच के निर्देश के बाद जिला अस्पताल के कम्प्यूटर ऑपरेटर अमन तिवारी, एएनएम रेनु यादव, एएनएम पूनम दुबे, कम्प्यूटर ऑपरेटर विवेक कुमार चौबे, एमसीएच विंग स्टोर इंचार्ज राजेश दीक्षित, फार्मासिस्ट जितेंद्र कुमार दुबे तथा उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कुशीनगर के फार्मासिस्ट अशोक यादव से पूछताछ में यह पता चला कि यह सेनेटाइजर सीएमओ कार्यालय से अशोक यादव ने एमसीएच विंग के स्टोर इंचार्ज राजेश दीक्षित को दिया था तथा उसके बाद राजेश दीक्षित ने वहां से वार्ड तथा वैक्सिननेशन सेंटर के लिए निर्गत किया लेकिन वार्डों से सेनेटाइजर के नकली होने की शिकायत आने पर उसको सीएमओ कार्यालय को बताकर वापस कर दिया गया और वहां से अशोक यादव द्वारा बाजार से दूसरा सेनेटाइजर खरीद कर पुनः एमसीएच विंग में भिजवाया गया।
उपजिलाधिकारी के अनुसार इस मामले में सीएमओ कार्यालय के फार्मासिस्ट अशोक यादव से पुछताछ में उसने बताया कि बीते 15 मई को सीएमओ कार्यालय से एमसीएच विंग को 5 लीटर के गैलन वाला सेनेटाइजर उपलब्ध कराया गया था लेकिन उसके खडाब होने की शिकायत आने पर उसे वहां से हटा दिया गया तथा बाजार से दूसरा सेनेटाइजर खरीदकर उसी दिन रात 10:30 बजे तक इसे एमसीएच विंग में पंहुचा दिया गया। अशोक यादव ने अपने बयान में यह कहा है कि जो सामान कारपोरेशन से जैसा आता है बिना उसकी जांच किये ही उसे वितरित कर दिया जाता है तथा किसी वस्तु के खराब निकलने पर उसे मुख्य चिकित्साधिकारी की सहमति से बाजार से खरीदा जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ था सेनेटाइजर खराब निकलने पर अशोक यादव ने राजेश दीक्षित से कहा कि आप बाजार से अच्छा सेनेटाइजर मंगा लीजिये, बाद में सीएमओ साहब से कहवाकर भुगतान करा दिया जाएगा।
एसडीएम पडरौना ने एफआईआर में लिखा है कि इस मामले में राज्य सरकार के ऊपर दोहरा भार पड़ रहा है जो कि कहीं से उचित नहीं है और इस मामले में सीएमओ कार्यालय के फार्मासिस्ट अशोक यादव की सन्दिग्ध भूमिका का पता चलता है तथा साथ ही यहां मुख्य चिकित्साधिकारी की भी मूक सहमति प्रतीत हो रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में जिलाधिकारी एस राजलिंगम द्वारा उपजिलाधिकारी को मामले की जांच करके रिपोर्ट देकर सीएमओ कुशीनगर को अशोक यादव के ऊपर एफआईआर दर्ज करवाने का आदेश दिया गया था। इस सम्बन्ध में बुद्धवार को पडरौना कोतवाली में सीएमओ कार्यालय के फार्मासिस्ट अशोक यादव के खिलाफ सेनेटाइजर घोटाले के मामले में मुकदमा संख्या 0208/21 में भादस 1860 की धारा 409, 419, 420, 467, 468 तथा 471 के तहत मुकदमा दर्ज कर अग्रिम कार्यवाही शुरू कर दी गयी है।
कौन है अशोक यादव…..?

समाजवादी पार्टी के एमएलसी रामअवध यादव का रिश्तेदार अशोक यादव कुशीनगर सीएमओ कार्यालय में बीते वर्ष 1994 से यानी कि 27 वर्षों से तैनात एक मामूली फार्मासिस्ट है, जिसके पांव सीएमओ कार्यालय में अंगद की तरह जमे हुए हैं। इस मामूली फार्मासिस्ट की स्वास्थ्य महकमे में तूती बोलती है, कहा जाता है कि इस फार्मासिस्ट से सीएमओ तक डरते हैं। अशोक यादव एक मामूली फार्मासिस्ट होने के बावजूद भी अकूत सम्पत्ति का मालिक है, शहर के वीआईपी कालोनी में बहुमंजिला इमारत, कई जगह जमीन तथा बड़ी गाड़ी, करोड़ों की चल अचल संपत्ति से इसके शानोशौकत का पता चलता है। अशोक यादव के इशारे पर विभाग में ट्रांसफर, पोस्टिंग होती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अशोक यादव के खिलाफ बोलने की कोई भी अधिकारी या कर्मचारी जहमत नहीं उठाते हैं क्योंकि जो भी अधिकारी या कर्मचारी उसके खिलाफ आवाज उठाता है उसका तबादला हो जाता है।

मशहूर एनआरएचएम घोटाले से भी जुड़ा है अशोक यादव
मायावती की पिछली सरकार में केंद्र सरकार की योजना राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में हुए अबतक के सबसे बड़े 5000 करोड़ के घोटाले से भी अशोक यादव का नाता जुड़ा हुआ है। इस घोटाले की जांच के लिए कुशीनगर आयी सीबीआई की टीम ने एनआरएचएम घोटाले में कुशीनगर से अशोक यादव को मुख्य आरोपी भी बनाया था तथा इस मामले में अशोक यादव दो बार जेल भी जा चुका है। हालांकि सूत्रों के अनुसार जेल में होने के बावजूद भी उसका वेतन समय से उसके खाते में पंहुचता रहा था।
क्षय रोग विभाग पडरौना में है अशोक यादव की तैनाती
मूल रूप से जिले में क्षय रोग विभाग में पडरौना अस्पताल में तैनात अशोक यादव के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्षय रोग विभाग में तैनात होने के बावजूद भी अशोक यादव पिछले 27 वर्षों से अटैच के नाम पर सीएमओ कार्यालय में जमा हुआ है। एनआरएचएम घोटाले के आरोपी को स्वास्थ्य विभाग के इतने बड़े विभाग की जिम्मेदारी देना भी कहीं न कहीं अधिकारियों पर जमे उसके रुतबे को दर्शाता है।
1996-97 में तत्कालीन सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर का प्रयोग कर रुकवा लिया था अपना ट्रांसफर

फर्जीवाड़े की दुकान चलाने वाला इस मामूली फार्मासिस्ट ने वर्ष 1996-97 में अपने ट्रांसफर को रुकवाने के लिए तत्कालीन सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर का प्रयोग कर अपने ट्रांसफर को रुकवा लिया था।
मिली जानकारी के मुताबिक फार्मासिस्ट अशोक यादव ने 1996-97 में अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए तत्कालीन सीएमओ डॉक्टर शील कुमार सिंह का फर्जी हस्ताक्षर तैयार कर डीओ लेटर तैयार कराकर अपनी जगह पर अशोक पाण्डेय का ट्रांसफर करा दिया था। इस मामले का पता चलते ही तत्कालीन सीएमओ डॉक्टर शील कुमार सिंह ने इस फार्मासिस्ट अशोक यादव के खिलाफ पडरौना कोतवाली में भादस 1860 की धारा 419, 420 के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया था जो कि आज भी सीजेएम न्यायालय में विचाराधीन है।
एनआरएचएम घोटाले में जेल में बंद होने के बाद भी मिलता था वेतन
एनआरएचएम घोटाले के कुशीनगर से मुख्य आरोपी बनाए गए फार्मासिस्ट अशोक यादव के विभाग में रुतबे का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब यह फार्मासिस्ट एनआरएचएम घोटाले में 12 जुलाई 2013 से 26 सितंबर 2013 तथा 6 सितंबर 2016 से 17 सितंबर 2016 तक गाजियाबाद के डासना जेल में बंद रहा था तब जेल में बंद होने के बावजूद भी विभाग द्वारा इसका मेडिकल लगाकर इसका वेतन इसके खाते में समय से भेज दिया जाता था अर्थात विभाग को यह पता होने के बावजूद भी यह पता नहीं लगने दिया गया कि एनआरएचएम घोटाले का आरोपी अशोक यादव जेल में बंद है।
हालांकि मिली जानकारी के अनुसार मुकदमा दर्ज होने के बाद कोतवाली पुलिस इसे लेकर थाने भी गयी थी लेकिन थोड़े समय बाद ही इसे कोतवाली से छोड़ दिया गया। इस सम्बन्ध में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसकी गिरफ्तारी के बाद थाने में किसी का फोन आया और इसे छोड़ दिया गया।
इस सम्बन्ध में अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में जिलाधिकारी महोदय से बात हुई है, उसमें नकली सेनेटाइजर की जांच की जा रही है, जांच के तुरन्त बाद आरोपी फार्मासिस्ट की गिरफ्तारी की जाएगी।
अब देखना यह है कि जिलाधिकारी कुशीनगर एस राजलिंगम के आदेश पर पूर्वांचल के यादव सिंह के नाम से मशहूर एनआरएचएम घोटाले के आरोपी कुशीनगर के मामूली फार्मासिस्ट अशोक यादव पर कोई कार्यवाही होगी भी या फिर उसके ऊपर दर्ज अन्य मुक़दमों की तरह यह मुकदमा भी फाइलों में दबकर रह जायेगा।