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बरगद का पेड़ : डॉ गंगेश दीक्षित

द चेतक न्यूज
बड़े काम की बात

कोविड की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत के 135 करोड़ की जनसंख्या में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिलेगा जिसने अपने किसी प्रिय को न खोया हो। भारत में जितनी भी मौतें हुई हैं उसमें सर्वाधिक मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी रहा है।

धरती पर कोई भी जीवधारी बिना भोजन और पानी के कुछ देर या कुछ दिन तक जीवित रह सकता है लेकिन बिना ऑक्सीजन कुछ देर भी जीवित रहना संभव नहीं है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।

वैज्ञानिकों का मानना है कि बरगद के पेड़ से 20 घंटे ऑक्सीजन निकलता है, इसके पत्तों से निकलने वाला पदार्थ चोट, मोच और सूजन को भी ठीक करने के काम आता है जिसके वजह से वैज्ञानिक भी इसे काफी महत्वपूर्ण मानते हैं, एक बरगद के पेड़ की उम्र लगभग 500 से1000 वर्ष तक की होती है।

हमारे सनातन धर्म में मान्यता है कि बरगद के पेड़ में तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास माना जाता है, महिलाएं भी अखंड सौभाग्य के लिए बट सावित्री की पूजा करती हैं। दार्शनिक दृष्टि से भी देखा जाए तो बट वृक्ष दीर्घायु और अमृत्व के लिए भी स्वीकार किया जाता है, इसके नीचे बैठ कर पूजन, व्रत कथा सुनने से मनोकामना पूर्ण होती है।

ऐसे में हमारा नैतिक दायित्व बनता है कि धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से इतने महत्वपूर्ण पौधे का हम अधिक से अधिक रोपण करें, जिससे कि हमें और हमारी आने वाली पीढ़िययों को कभी ऑक्सीजन की कमी न महसूस न होने पाए।

(लेखक डॉ गंगेश दीक्षित नागरिक पीजी कॉलेज जंघई, जौनपुर में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।)

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