आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज
कुचायकोट, बिहार : महाविद्यालय प्राचार्य के निधन के बाद विश्वविद्यालय के निर्देश पर महाविद्यालय के संचालन हेतु बनाये गए तदर्थ समिति की प्रथम बैठक हंगामेदार रही। कुचायकोट प्रखंड के एसएमडी कॉलेज के संचालन हेतु यह तदर्थ समिति बनायी गयी है, जिसकी पहली बैठक रविवार को थी, तदर्थ समिति की बैठक समिति के अध्यक्ष तथा बिहार सरकार के खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम की अध्यक्षता में आयोजित हुई, इस बैठक में महाविद्यालय के संचालन को लेकर कई आवश्यक निर्णय लिए गए। बैठक के दौरान तदर्थ समिति के सदस्यों को महाविद्यालय के कुछ शिक्षकों, कर्मियों, स्थानीय भूमिदाताओं और स्थानीय लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा, विरोध करने वाले लोग तदर्थ समिति में विद्यालय के जिन 3 शिक्षकों को नामित किया गया है उनके नाम पर आपत्ति जता रहे थे। विरोध करने वाले लोगों का कहना था कि समिति से इन तीनों को बाहर किया जाए और अन्य तीन सदस्यों को कमेटी में स्थान दिया जाए। लगभग 5 घंटे चली इस बैठक में विद्यालय संचालन को लेकर कई बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया, बैठक की अध्यक्षता कर रहे मंत्री जनक राम का कहना था कि विद्यालय के संस्थापक और प्राचार्य स्वर्गीय राम दुलार दास के निधन के बाद इस महाविद्यालय का संचालन और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो यह पहली प्राथमिकता है, ऐसे में सभी लोगों को एकजुट होकर विश्वविद्यालय द्वारा जारी नियमों के अनुकूल महाविद्यालय संचालन में अपनी भागीदारी निभानी होगी। उन्होंने कहा कि विद्यालय के सभी कर्मी अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी से करें, ताकि इस महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के भविष्य पर कोई खतरा नहीं आए।
बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अब बच्चों के फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू की जानी है, ऐसे में जो भी इस विद्यालय के नामांकित छात्र छात्राएं हैं उनके फॉर्म सहूलियत से भरे जाएं और वह एग्जाम में शामिल हो इसको लेकर एक व्यापक कार्ययोजना बनाकर काम किया जाए। बैठक में उपस्थित सदर एसडीओ उपेंद्र कुमार पाल ने कहा कि नामांकन से लेकर फॉर्म भरने की प्रक्रिया तक सब कुछ पारदर्शी तरीके से होना चाहिए, जो भी गतिविधि विद्यालय और छात्रों के हित में विद्यालय प्रांगण में संचालित हो उसमें पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए।
विदित हो कि अप्रैल महीने के तीसरे सप्ताह में विद्यालय के संस्थापक प्राचार्य डॉ राम दुलार दास का निधन हो जाने के बाद विद्यालय के संचालन समिति को भंग कर दिया गया था, तब विश्वविद्यालय के दिशा निर्देशों के अनुसार 7 सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया गया तथा बिहार सरकार के खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम को इस तदर्थ समिति का अध्यक्ष बनाया गया, इसके अलावा समिति में सदर एसडीओ उपेंद्र कुमार पाल, चंद्रवंश गिरी उर्फ टूना गिरी, जेपी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार आर बबलू के अलावा विद्यालय की स्टाफ निभा कुमारी, प्रेमचंद्र मिश्रा और उमाशंकर यादव को इसका सदस्य बनाया गया।
विश्वविद्यालय के निर्देश पर महाविद्यालय के संचालन के लिए बने इस तदर्थ समिति की यह पहली बैठक थी, बैठक में जेपी विश्वविद्यालय के रजिस्टर आर बबलू ने कहा किया तदर्थ समिति अस्थाई रूप से विद्यालय संचालन के लिए बनी है और तभी तक काम करेगी जब तक विद्यालय में स्थाई समिति का गठन नहीं कर दिया जाता है। महाविद्यालय के प्रांगण में आयोजित तदर्थ समिति के इस पहली बैठक को लेकर दिनभर गहमागहमी मची रही, इस दौरान महाविद्यालय के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी भी कई खेमो में बंटे हुए दिखाई दिए, बैठक में कुछ स्थानीय प्रतिनिधि और भूमि दाता भी शामिल रहे। इस मौके पर प्रमुख रूप से विश्वविद्यालय प्रतिनिधि अनिल कुमार सिंह, उमेश प्रधान, विनोद पांडेय, पूर्व मुखिया मनु सिंह, मुखिया प्रतिनिधि जितेंद्र सिंह , राजू कुशवाहा, बड़ा बाबू मिश्रा सहित तदर्थ समिति के सभी सदस्य स्थानीय नागरिक तथा भूमिदाता मौजूद रहे।