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गैर कानूनी तरीके से संचालित हो रहे अनाथ आश्रम पर कार्यवाही हेतु राज्य बाल आयोग ने डीएम कुशीनगर को लिखा पत्र

आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज

कुशीनगर : जिले के पडरौना नगर से सटे परसौनी कला में संचालित होने वाले अनाथ आश्रम की जांच के बाद उसको गैरकानूनी तरीके से संचालित होता देखकर उत्तर प्रदेश राज्य बाल आयोग की सदस्य डॉक्टर सुचिता चतुर्वेदी ने डीएम कुशीनगर को पत्र भेजकर उक्त अनाथ आश्रम की संचालिका पर कार्यवाही करने तथा वहां के बच्चों को किसी अन्य अनाथालय में स्थानांतरित कर एक सप्ताह में आयोग को कृत कार्यवाही से अवगत कराने का निर्देश दिया है।

विदित हो कि बीते वृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश राज्य बाल आयोग की सदस्य डॉक्टर सुचिता चतुर्वेदी कुशीनगर जिले में विभिन्न संस्थानों के निरीक्षण पर थी इस दौरान उन्होंने जिला अस्पताल, नारी निकेतन, मदरसा और पडरौना नगर से सटे परसौनी कला में संचालित होने वाले अनाथ आश्रम का भी निरीक्षण किया, अनाथ आश्रम के निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि यह पूर्णतः फर्जी तरीके से संचालित होता है, और यहां सभी उम्र के बच्चों को एक साथ रखा जाता है जोकि पूर्णता गैरकानूनी है, साथ ही यह भी पता चला कि यह अनाथ आश्रम बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चंदे और धर्मांतरण की लालच में चलाया जाता है। निरीक्षण के दौरान यहां 25 बच्चे मिले जिनका नाम बदल कर अनाथालय की संचालिका शिरीन बसुमता ने ईसाई नामों पर रखा है, यह देखकर साफ पता चलता है कि इस अनाथालय की आड़ में यहां धर्मांतरण कराया जा रहा है।

अनाथालय का निरीक्षण करने के बाद डॉ सुचिता चतुर्वेदी ने लखनऊ जाकर वहां से शुक्रवार को जिलाधिकारी कुशीनगर एस राजलिंगम को एक पत्र प्रेषित किया, जिसमें यह लिखा गया है कि बालकों व किशोरों की देखरेख के लिए बनी प्रत्येक संस्था को किशोर न्याय बालकों की देखरेख व संरक्षण अधिनियम 2015 तथा अधिनियम के आदर्श नियम 2016 की धारा 41(1) के तहत रजिस्टर्ड होना चाहिए लेकिन यह संस्था उक्त प्रावधानों के विरुद्ध बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चलायी जा रही है तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 का उल्लंघन कर रही है, निरीक्षण के दौरान इस संस्था में कुल 25 बच्चे मिले जो कि 5 से लेकर 18 वर्ष की आयु के हैं, जिन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया जो कि अधिनियम की धारा 32 का उल्लंघन है। जिलाधिकारी को लिखे गए पत्र में उन्होंने लिखा है कि संस्था की संचालिका शिरीन बसुमता के द्वारा सभी बच्चों का नाम बदलकर उनके नाम के आगे अपने नाम का उपनाम बसुमता लगाया गया है तथा यहां सभी उम्र के लड़के, लड़कियां एक साथ रहते हैं जो कि आदर्श नियम 2016 की धारा 29 (VI)(b) का उल्लंघन है। संस्था की संचालिका द्वारा संस्था से सम्बन्धित एक भी कागजात निरीक्षण के दौरान प्रस्तुत नहीं किया जा सका, संस्था की संचालिका के पुत्र जयंत ने बच्चों से सम्बन्धित एक रजिस्टर दिखाया जो कि आधा अधूरा था और इसमें सिर्फ बच्चों का संक्षिप्त विवरण ही लिखा हुआ था जो कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 77 का उल्लंघन करता है।

उत्तर प्रदेश राज्य बाल आयोग की सदस्या डॉ शुचिता चतुर्वेदी ने जिलाधिकारी को लिखे गए पत्र में अन्य कई बिंदुओं का उल्लेख किया है जो कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 व आदर्श नियम 2016 का उल्लंघन करते हैं, उन्होंने यह भी कहा है कि यह संस्था वर्ष 2000 से बिना किसी रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रही है, जिसका संज्ञान बाल आयोग ने गंभीरता से लिया है। डॉ चतुर्वेदी ने जिलाधिकारी को दिए गए पत्र में यह कहा है कि एक सप्ताह के भीतर उस अनाथ आश्रम में से बच्चों को उनकी उम्र को ध्यान में रखकर अन्यत्र अलग-अलग किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के बाद उसपर आवश्यक कार्यवाही की जाए तथा कृत कार्यवाही से आयोग को 1 सप्ताह के भीतर अवगत भी कराया जाए।

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