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जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर की निर्वाण भूमि, पावापुरी

द चेतक न्यूज

राजीव कुमार झा : बिहार में बिहारशरीफ से थोड़ी दूर स्थित पावापुरी जैन मतावलंबियों का महान तीर्थस्थल है, यहाँ की पावन धरती पर कार्तिक मास में दीपावली के दिन भगवान महावीर का देहांत हुआ था और जनश्रुति के अनुसार इसके बाद उनकी अंत्येष्टि के अवसर पर यहाँ उनके श्रद्धालुओं की अपार भीड़ एकत्रित हुई थी। यहाँ इस प्रकार की कथा प्रचलित है कि भगवान महावीर के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि के बाद जब यह अपार एकत्रित जनसमूह यहाँ से वापस लौटने लगा तो इसमें शामिल लोग अपने हाथों से यहाँ की पवित्र मिट्टी को भी हाथों से कुरेद कर अपने साथ लेते गये और इससे यहाँ एक विशाल सरोवर सा गड्ढ़ा बन गया। पावापुरी में इसी सरोवर के बीच जलमंदिर अवस्थित है और यहाँ आने के लिए तट के किनारे से सुंदर रेलिंगदार रास्ता बना हुआ है। पावापुरी में जिस स्थान पर भगवान महावीर का देहांत हुआ था उस स्थान पर ग्राम मंदिर का निर्माण कराया गया है, यह बलुआ पत्थरों से निर्मित सुंदर मंदिर है, जलमन्दिर सफेद संगमरमर का बना है। दीपावली के दिन पावापुरी में मेला लगता है, यहाँ सारी दुनिया से जैन मतावलंबियों का आगमन होता रहता है और इनके ठहरने के लिए यहाँ धर्मशालाएँ हैं। बिहार सरकार के द्वारा पावापुरी में वर्द्धमान महावीर इंस्टिट्यूट आफ हायर मेडिकल साइंसेज की स्थापना की गयी है। पावापुरी का रेलवे स्टेशन बख्तियारपुर – राजगीर रेलमार्ग पर स्थित है और गया – पटना से सीधी रेलसेवा भी यहाँ उपलब्ध है।

यह एक सुंदर ग्राम्य परिवेश का कस्बा है और यहाँ चतुर्दिक अनुपम शांति और हरीतिमा फैली दिखायी देती है, पावापुरी में भगवान महावीर की स्मृतियों से जुड़े अन्य स्थल भी हैं।

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