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पुलिस की न दोस्ती अछी न दुश्मनी, दोस्त पत्रकार को पुलिस ने दारू तस्करी में फंसाकर भेजा जेल

आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज

कुशीनगर : शराब तस्करों, गौ तस्करों तथा अवैध सामानों की तस्करी करने वाले तस्करों से सांठगांठ कर मोटी कमाई करने वाली जिले की पटहेरवा पुलिस के कारनामों पर, पुलिस की न दोस्ती अच्छी और न दुश्मनी” वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ साबित होती दिख रही है। मामला साफ है कि पटहेरवा थानाक्षेत्र में बरामद हुई अवैध शराब के मामले में पुलिस ने अपने एक एसआई को निलंबित करते हुए साथ ही एक पत्रकार को भी फर्जी कुचक्र रचकर जेल भेज दिया तथा उस पत्रकार के नाम के आगे शराब तस्कर जोड़ दिया। एक पत्रकार को पुलिस द्वारा जेल भेजने की खबर आम होने पर जनता में यह चर्चा आम हो गयी कि पुलिस ने अपना दामन बचाने के लिए पत्रकार को नाहक ही जेल भेज दिया है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पटहेरवा थाने के एसआई पीएन सिंह तथा पत्रकार शम्भू सिंह में अच्छी दोस्ती थी लेकिन जब पीएन सिंह के पास अवैध शराब का जखीरा देख शम्भू ने उसका वीडियो बनाकर अधिकारियों को बताया तो पीएन सिंह ने निलम्बित होने के बाद दोस्ती का अच्छा सिला देते हुए उक्त पत्रकार को भी शराब तस्करी में अपना साथी बता दिया और उसे जेल भेजवा दिया।

दूसरी तरफ पटहेरवा पुलिस द्वारा पत्रकार शम्भू सिंह को जेल भेजने के बाद खुद को अबतक की सबसे ईमानदार सरकार बताने वाले मुख्यमंत्री योगी की सरकार के कुशीनगर जिले के पटहेरवा पुलिस की चंहुओर छीछालेदर हो रही है तथा पुलिस महकमे की ऐसी घिनौनी कार्यवाही से सूबे की योगी सरकार की भी क्षेत्र में थू थू हो रही है। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिले की पटहेरवा पुलिस सूबे की योगी सरकार के ईमानदार छवि वाले चेहरे पर कालिख पोतने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।

बताते चलें कि एकतरफ जहां पुलिस विभाग को मित्र पुलिस बनकर रहने तथा जनता से समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ सूबे के कुशीनगर जिले की पटहेरवा पुलिस द्वारा इनसभी निर्देशों को धता बताते हुए पुलिस से दोस्ती करने वाले पत्रकार के साथ उसकी दोस्ती और विश्वास का गला घोंटकर उसे दारू तस्करी के फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने की घिनौनी हरकत की गयी है।

यहां बताते चलें कि हमेशा से तस्करों के साथ सांठगांठ कर चर्चा में रहने वाली पटहेरवा पुलिस द्वारा अपने बचने के लिए फर्जी रूप से एक पत्रकार को जेल भेजने की कार्यवाही के बाद एक बार फिर चर्चा में आ गयी है तथा पटहेरवा पुलिस की इस हरकत ने उसके दामन पर एक बार और तस्करों के साथ मिलीभगत का ठप्पा लगा दिया है।

शराब, गौवंश तथा अन्य चीजों की तस्करी करने वालों तथा पुलिस की वर्दी में छुपे तस्करों के उन सपोलों पर लगाम न कसकर पटहेरवा पुलिस ने जनता की समस्याओं को सामने लाने वाले तथा सच को उजागर करने वाले पत्रकार को फर्जी तरीके से जेल भेजकर एक नया कारनामा किया है। पत्रकार को जेल भेजने के बाद क्षेत्र में यह चर्चा-ए-सरेआम है कि जितनी तत्परता से पुलिस ने एक पत्रकार को तस्कर बनाकर जेल भेजा है उतनी ही तत्परता से पुलिस अपने विभाग के उस मठाधीश के खिलाफ कार्यवाही करती, जिसके आवास से छापेमारी के दौरान शराब की पेटी बरामद हुई थी तो शायद आज खाकी की शान मे कसीदे गढ़े जाते।

मिली जानकारी के मुताबिक बीते दिनो 26 जुलाई मंगलवार को पटहेरवा थाने के एसआई पीएन सिंह के आवास से स्वाट टीम ने उस समय बड़ी मात्रा में शराब पकडा था, जब वहां उपनिरीक्षक और पत्रकार शम्भू मौजूद थे, चूंकि शराब खाकी के आवास से खाकी ने ही बरामद किया था और जिसके पत्रकार शम्भू सिंह चश्मदीद गवाह थे, लिहाजा मौके की नजाकत को देखते हुए पटहेरवा पुलिस व स्वाट टीम ने अपने अपनी वर्दी को दागदार होने से बचाने के लिए एक झूठी कहानी रची और अपने उच्चाधिकारियों को इस मामले कि जानकारी देते हुए के अधिकारियों को मामले की जानकारी देते हुए पल भर में ही एक ऐसी कहानी रच दी, जिसमें निर्दोष पत्रकार शम्भू सिंह को मोहरा बनाया गया और उसे शराब तस्कर दिखाकर पटहेरवा पुलिस ने जेल भेज दिया। क्षेत्र में यह भी चर्चा है कि स्वाट टीम उपनिरीक्षक पीएन सिंह व मुंशी को भी हिरासत मेंलेना चाहती थी लेकिन थाने के बडे साहब की ऊंची पँहुच के वजह से स्वाट टीम की एक न चली, लेकिन अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन उसके बाद पुलिस ने जो कहानी गढ़ी, उसमे पीएन सिंह के साथ उनके आवास पर बैठे पत्रकार शम्भू सिंह को भी शराब तस्कर बना दिया गया और जिसका खुलासा पत्रकार ने तरयासुजान मे आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान चिल्ला चिल्ला कर किया। इस दौरान एक वरिष्ठ पत्रकार ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए निर्दोष पत्रकार को फर्जी तरीके से शराब तस्कर बनाये जाने का खुला विरोध भी किया था लेकिन किसी जिम्मेदार ने उस वरिष्ठ पत्रकार की एक न सुनी, ऐसा प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है।

बताया जाता है कि दरोगा के आवास से बरामद किये गये शराब को तरयासुजान पुलिस ने अपने क्षेत्र से बरामद दिखाकर पत्रकार शम्भू सिंह सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी दिखाकर जेल भेज दिया जबकि सूत्रों का कहना है कि चर्चित उपनिरीक्षक तस्करों से बरामद शराब को बड़ी मात्रा में छिपा लेता था और थोड़ी मात्रा में शराब बरामदगी दिखाता था और साथ ही बाकी बचे शराब को अपने गिरोह के सदस्यों के माध्यम से तस्करों को बेच देता था।

क्षेत्र के लोग तो उस उपनिरीक्षक पर यह भी आरोप लगाते हैं कि अवैध शराब की तस्करी केवल उपनिरीक्षक अपने दम पर नही करता था उसके इस अवैध कारोबार में थाने के जिम्मेदार लोग भी शामिल थे, लेकिन विभाग की बदनामी न हो इस लिए पूरे प्रकरण पर ही पर्दा डाल दिया गया। क्षेत्र में यह चर्चा व्याप्त है कि अगर इस शराब कांड की जांच किसी उच्चाधिकारी से करवायी जाए तो पटहेरवा पुलिस का असली चेहरा सामने आ जायेगा और साथ ही शराब व पशु तस्करी का एक बहुत बड़ा रैकेट बेनकाब होगा।

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