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अयोध्या में चांदी के झूले पर विराजमान हुए रामलला

द चेतक न्यूज

अयोध्या : राम जन्मभूमि परिसर में लम्बे समय से अस्थाई गर्भगृह में विराजमान रामलला को गत दिवस नवनिर्मित रजत हिंडोले पर आसीन कराया गया। रामलला रक्षाबंधन तक इसी चांदी के हिंडोले पर विराजमान रहेंगे और उन्हें झूला झुलाया जाएगा, इस चांदी के झूले को श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला के लिए तैयार कराया है।

सावन शुक्ल पंचमी तिथि के हिसाब से शुक्रवार को वैकल्पिक गर्भगृह में उनका झूला पड़ गया, जिस पर रामलला सहित चारों भाइयों का विग्रह स्थापित कर उन्हें झूला झुलाया जा रहा है, रामलला का यह झूलनोत्सव 22 अगस्त तक चलेगा।

बताते चलें कि इसके पूर्व भी रामलला को प्रत्येक वर्ष सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी से लेकर पूर्णिमा तक झूले पर झुलाया जाता रहा है लेकिन तब वह झूला लकड़ी का रहता था और इस वर्ष रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की गरिमा के अनुरूप चांदी का झूला तैयार कराया है।

रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के अनुसार विशेष पूजन के बाद रामलला सहित चारों भाइयों के विग्रह को झूले पर स्थापित किया गया।

सनातन उपासना परंपरा और शास्त्रों के मर्मज्ञ जगद्गुरु रामानुजाचार्य डॉ. राघवाचार्य का कहना है कि यह रामलला के गौरव की वापसी ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतीयता के गौरव की प्रतिष्ठा का क्षण है, वह इसलिए कि आराध्य की प्रतिष्ठा के साथ ही समाज और देश की प्रतिष्ठा सुनिश्चित होती है।

ज्ञात हो कि अयोध्या में करीब 493 वर्ष पहले भव्यता-दिव्यता का पर्याय रहे राम मंदिर तोड़े जाने के बाद से ही रामलला की सेवा-पूजा उपेक्षित रही है तथा 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही रामलला को टेंट के अस्थाई मंदिर से बाहर करने का प्रयास शुरू कर दिया गया था, अब यहां न केवल भव्य मंदिर निर्माण की प्रक्रिया निरंतर आगे बढ़ रही है, बल्कि रामलला के दरबार में वह सारे उत्सव होने लगे हैं।

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