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नहीं रहे यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री, राम मंदिर के प्रणेता कल्याण सिंह, 89 वर्ष की उम्र में पीजीआई में ली अंतिम सांस

राम मंदिर के प्रणेता रहे थे हिंदुत्ववादी नेता कल्याण सिंह, राम मंदिर के लिए सीएम की कुर्सी को मार दी थी ठोकर

आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का आज लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया, वह 89 वर्ष के थे और कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थी। कल्याण सिंह के निधन की खबर सुनते ही पूरे प्रदेश में अहोक कई लहर दौड़ गयी, उनके निधन के बाद भाजपा के सभी नेता शोक में डूब गए। भारतीय जनता पार्टी में कल्याण सिंह एक बड़ा नाम था और वह भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुख जताया है। कल्याण सिंह श्रीराम मंदिर आंदोलन के अगुआ थे और उन्होंने श्रीराम मंदिर आंदोलन के लिए अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को भी ठोकर मार दिया था। कल्याण सिंह के निधन पर उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है तथा उनके अंत्येष्टि के दिन प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश की भी घोषणा की गयी है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का एक लंबी बीमारी के कारण उन्हें 5 जुलाई को संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के Critical Care medicine के आईसीयू में गंभीर अवस्था में भर्ती किया गया था, लंबी बीमारी और शरीर के कई अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के कारण शनिवार रात लगभग 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। पीजीआई के डाक्टरों ने कल्याण सिंह की स्थिति बेहद नाजुक होने की जानकारी मुख्यमंत्री समेत उनके परिवार के लोगों को भी दी थी, शनिवार को देर शाम यह सूचना मिलने पर योगी आदित्यानाथ उन्हें देखने एसजीपीजीआइ पहुंचे थे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण स‍िंंह के न‍िधन पर शोक जताते हुए उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोष‍ित क‍िया है।

भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक कल्याण सिंह का पार्टी के साथ ही भारतीय राजनीति में कद काफी विशाल था। अयोध्या के विवादित ढांचा के विंध्वस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जताया दुःख

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर भाजपाइयों में शोक व्याप्त है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर ट्वीट कर दुःख जताया है, मोदी ने लिखा है कि कल्याण सिंह जी ने समाज के वंचित तबके के करोड़ों लोगों को आवाज दी, उन्होंने किसानों, युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में कई प्रयास किए।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बारे में एक नजर

भारत के महान राजनीतिज्ञ और राजनेता कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को माधोली, अटरोली, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। वर्तमान में इनकी उम्र 89 वर्ष है। कल्याण सिंह अपने राजनीतिक सफर में अभी तक कई पार्टियों में रह चुके है, जैसे भारतीय जनसंघ (1967-1980), भारतीय जनता पार्टी (1980-20 जनवरी 2009), राष्ट्रीय क्रांति पार्टी (1999), समाजवादी पार्टी (2009-2010), जन क्रांति पार्टी (2010-2013), वर्ष 1967 में कल्याण सिंह पहली बार UP विधानसभा सदस्य के लिए चुने गए और वर्ष 1980 तक सदस्य रहे।

कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर –

जून 1991 में BJP को विधानसभा चुनावों में जीत मिली और कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद कुछ ही दिनों बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस हो गया, उसके बाद इन्होंने 6 दिसंबर 1992 को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, साल 1997 में, कल्याण सिंह फिर से राज्य के CM बने और वर्ष 1999 तक पद पर बने रहे। उसके बाद इनका बीजेपी से कुछ ताल मेल सही नहीं रहा और ये बीजेपी छोड़ दिए और ‘राष्ट्रीय क्रांति पार्टी’ का गठन किया।

समय बीतता गया वर्ष 2004 में अटल जी के निवेदन पर इन्होंने फिर से बीजेपी ज्वाइन कर लिया और बुलंदशहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए, वर्ष 2009 के आम चुनाव में फिर बीजेपी से अलग हो गए और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में इटावा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की, उसके बाद वर्ष 2009 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

2013 में उन्होंने पुनः भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और 4 सितंबर 2014 को कल्याण सिंह ने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण किया तथा 28 Jan 2015 से 12 Aug 2015 तक, उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

संक्षिप्त परिचय : कल्याण सिंह

नाम – कल्याण सिंह
जन्म – 5 जनवरी 1932
गृहनगर – अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत
पिता का नाम – श्री तेजपाल सिंह लोधी राजपूत और
माता का नाम – श्रीमती सीता देवी
शैक्षणिक योग्यता – बीए,एलएलबी (BA LLB)
कॉलेज – धर्म समाज महाविद्यालय, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
काम – भारतीय राजनेता
राजनीतिक दल – भारतीय जनता पार्टी
जीवन संगिनी – रामवती
बच्चे – 2, राजवीर सिंह (राजनेता), बेटी – प्रभा देवी

कुल संपत्ति : (लगभग) 70 लाख (वर्ष 2020 के अनुसार)

पसंदीदा राजनेता – अटल बिहारी वाजपेयी
पसंदीदा जगह – सिंगापुर, थाईलैंड
पसंदीदा खेल – कबड्डी, टेनिस

कल्याण सिंह से जुड़ी कुछ जानकारियां :

राजनीति में आने से पहले कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्णकालिक स्वयंसेवक थे, कल्याण सिंह को समाचार और कबड्डी देखना, संगीत सुनना, धार्मिक शास्त्र पढ़ना अच्छा लगता है।

ऐसा माना जाता है कि कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद विध्वंस में संलिप्त होने का कोई खेद नहीं था, बल्कि उनके अनुसार तो बाबरी मस्जिद का विध्वंस आवश्यक था।
कहा जाता है कि सरकार बनने के बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए गए थे।

पढ़ाई करने के बाद कल्याण सिंह शिक्षण में भी कुछ दिनों तक काम किये थे। वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया वह 21 महीने तक जेल में रहे।

कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख़्यमंत्री बने तो उन्होंने बोर्ड परीक्षा में नकल पर पूर्णतः रोक लगा दी थी और उनके समय मे बहुत ही कम रिजल्ट बना था। उनका बेटा राजवीर सिंह राजनेता है जो कि वर्ष 2014 के चुनाव में संसद सदस्य के रूप में चुना गया था। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार में उनका पोता संदीप कुमार सिंह एक राजनेता और शिक्षा राज्य मंत्री है।

कल्याण सिंह की राजनीतिक यात्रा :

वर्ष 1967 में कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा सदस्य के लिए चुने गए और वर्ष 1980 तक सदस्य रहे।

• जून 1991 में, बीजेपी को विधानसभा चुनावों में जीत मिली और कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

• बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद, कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, वर्ष 1997 में, वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने और वर्ष 1999 तक पद पर बने रहे।

• बीजेपी के साथ मतभेदों के कारण, कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़ दी और ‘राष्ट्रीय क्रांति पार्टी’ का गठन किया।

• वर्ष 2004 में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अनुरोध पर, वह भाजपा में वापस आ गए, वर्ष 2004 के आम चुनावों में, वह बुलंदशहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए।

• वर्ष 2009 में, आम चुनावों में वह पुनः बीजेपी से अलग हो गए और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में इटाह निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की, वर्ष 2009 में, वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए।

• वर्ष 2013 में, वह पुनः भाजपा में शामिल हुए, 4 सितंबर 2014 को, उन्होंने राजस्थान के गवर्नर के रूप में शपथ ग्रहण की तथा 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक, उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

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