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गंगा नदी के चारों तरफ बसे लोगों को लाभ पंहुचाने की परिकल्पना है अर्थ गंगा

नमामि गंगे को अब देश के सबसे बड़े नदी संरक्षण की परिकल्पना के रूप में जाना जाता है।

नमामि गंगे अब केवल गंगा की सफाई तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश के सबसे बड़े नदी संरक्षण परिकल्पना के रूप में जाना जाता है, गंगा के साथ साथ अब गंगा की सहायक नदियों की स्वच्छता पर भी कार्य शुरू हो गया है।

गंगा नदी एवं उसके घाटों की स्वच्छता के साथ साथ गंगा किनारे लोगों को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार नमामि गंगे के तहत अर्थ गंगा मुहीम को प्रोत्साहित कर रही है।

अर्थ गंगा का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के किनारे आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर देने की सुदृढ़ परिकल्पना है। गंगा किनारे लोगों की आजीविका एवं उस इलाके की अर्थव्यवस्था को इस परियोजना के द्वारा बढ़ाया जा सकता है।

भारत की लगभग आधी आबादी गंगा नदी के क्षेत्र के आस-पास अधिवासित है, जो की भारत के समग्र माल भाड़े का लगभग 20% प्राप्ति का स्त्रोत है तथा एक-तिहाई गंतव्य का क्षेत्र है। इन सभी कार्यों के लिए महिला स्व-सहायता समूहों और पूर्व सैनिक संगठनों को प्राथमिकता दी जायेगी। उसके आस-पास एक सौ से अधिक नगर हैं, और हजारों गाँव हैं, अर्थ गंगा से इन सभी को वृहद स्तर पर लाभ होगा।

दिसंबर 2019 कानपुर में सम्पन्न हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री ने गंगा नदी से सम्बंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ‘नमामि गंगे’ परियोजना को “अर्थ गंगा” जैसे एक सतत विकास मॉडल में परिवर्तित करने निर्देश दिया था। इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को साफ करने एवं एक स्थायी आय उत्पन्न करने के लिए गंगा राज्यों के मुख्यमंत्रियों (उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के सरकारों) को निर्देशित किया। राष्ट्रीय गंगा परिषद की स्थापना पर्यावरण अधिनियम, (1986) के तहत की गई थी, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा परिषद की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। इसका कार्य गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित गंगा नदी बेसिन के प्रदूषण निवारण और कायाकल्प का अधीक्षण करना है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, राष्ट्रीय गंगा परिषद के कार्यान्वयन शाखा के रूप में कार्य करता है।

अर्थ गंगा के तहत किसानो को टिकाऊ, कृषि पद्धितियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। जिसमें शून्य बजट खेती, फलदार वृक्ष लगाना और गंगा किनारे पर पौधों की नर्सरी का निर्माण करने आदि कार्य शामिल है। जल से सम्बंधित खेलों के लिए प्राथमिक स्तर की आधारभूत संरचना के विकास और शिविर स्थलों के निर्माण, साइकिलिंग एवं टहलने के लिए ट्रैकों आदि के विकास से नदी बेसिन क्षेत्रों में धार्मिक तथा साहसिक पर्यटन जैसी महत्वपूर्ण पर्यटन क्षमता बढ़ाने में सहायता मिलेगी। पारिस्थितिकी पर्यटन और गंगा वन्यजीव संरक्षण एवं क्रूज पर्यटन आदि को प्रोत्साहन देने से अर्जित आय को गंगा स्वच्छता के लिए आय का स्थायी स्रोत बनाने में सहायता मिलेगी।

भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन मंत्रालय के अनुसार अर्थ गंगा परियोजना से गंगा नदी के किनारे आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। रोजगार वृद्धि हेतु भारत सरकार द्वारा यह एक महत्वपूर्ण कदम है, अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास “अर्थ-गंगा” परियोजना के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भों में से एक है। जलमार्गों के विकास का नदियों के तटों और पारिस्थितिकी तंत्र दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है, न केवल समावेशी विकास बल्कि राष्ट्रीय जलमार्ग से सम्बंधित क्षेत्र में रोजगारों के सृजन में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। अर्थ-गंगा परियोजना किसानों, छोटे व्यापारियों और ग्रामीणों के लिए आर्थिक और समावेशी विकास को बढ़ावा देगी।

अथर्व राज पाण्डेय

लेखक, अथर्व राज
कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट, (नमामि गंगे)
जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार

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