आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज
द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है और वह भाजपा के लिए एक बड़ा आदिवासी चेहरा हैं, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने आदिवासियों के एक बड़े तबके को अपनी ओर खींचने का कार्य किया है। आइये जानते हैं कौन हैं एनडीए से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू..?
उड़ीसा के मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेडा गांव के संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। उनका जन्म 20 जून 1958 को हुआ था, वह स्वर्गीय बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ है।
द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1997 में की थी, इस दौरान वह ओडिसा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वर्ष 1997 में ही द्रौपदी भाजपा के उड़ीसा इकाई में अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष बनायी गयीं।
राजनीति में उतरने से पहले द्रौपदी अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एन्ड रिसर्च सेंटर, रायरंगपुर में बतौर सहायक अध्यापक तथा सिंचाई विभाग में बतौर कनिष्ठ सहायक के रूप में कार्य कर चुकी हैं।
राजनीति में आने के बाद द्रौपदी ने वर्ष 2002 से 2009 तक तथा पुनः 2013 में मयुरगंज जिले में भाजपा के जिलाध्यक्ष का पद भी संभाला। द्रौपदी भारतीय जनता पार्टी से उड़ीसा में दो बार विधायक भी चुनी गईं थी तथा उन्होंने बीजू जनता दल और भाजपा के गठबंधन वाली नवीन पटनायक की सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री भी कार्य किया है।
द्रौपदी मुर्मू को विधानसभा के सर्वश्रेष्ठ विधायक हेतु उड़ीसा विधानसभा द्वारा नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
द्रौपदी ने विधानसभा में उड़ीसा के रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं, झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी।