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कुशीनगर के विश्वनाथ तिवारी को मिला साहित्य में पद्मश्री पुरस्कार

पद्मश्री ग्रहण करते प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

आदित्य कुमार दीक्षित
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कुशीनगर : जिले के खड्डा क्षेत्र निवासी प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है, उनके इस उपलब्धि से पूरे जिले में हर्ष की लहर है।

कुशीनगर जिले के खड्डा क्षेत्र के रायपुर भैसही भेडिहारी गाँव में वर्ष 1940 में जन्मे प्रो विश्वनाथ तिवारी ने प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य रामचंद्र तिवारी के निर्देशन में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने “छाया वादोत्तर हिन्दी गद्य साहित्य” (1936-60) ई विषय पर हिन्दी विभाग के कृतकार्य आचार्य तथा विभागाध्यक्ष सुप्रसिद्ध समालोचक एवं हिन्दी का गद्य साहित्य के लेखक आचार्य राम चन्द्र तिवारी जी के शोध निर्देशन में 1966 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से पी-एच॰डी॰की डिग्री प्राप्त किया तथा उक्त शोध प्रबंध हिन्दी विभाग की पुस्तक के रूप में 1968 में वाराणसी से गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा प्रथम प्रकाशित कृति थी, उक्त शोध प्रबंध सितम्बर 1965 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में पी-एच॰डी॰ डिग्री हेतु प्रस्तुत किया गया था। इस कृति को पुस्तक के रूप में प्रकाशन से पूर्व प्रो नन्द दुलारे वाजपेयी एवं डा भगीरथ मिश्र जैसे साहित्यकारों ने मूल्यांकित किया था। प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपने शोध अध्ययन क्रम में यह लक्षित किया कि विधा कोई हो और उसका कलात्मक निखार चाहे जिस कोटि का हो उसके सृजनात्मक उपादानों की निर्मेय मनोभूमि एक ही है और यह भूमि उस एतिहासिक परिप्रेक्ष्य के प्रभाव स्वरूप संघटित हुई है जिसमें हमारा समाज जी रहा है और जीवन को नये ढंग से गढ़ने की चेष्टा कर रहा है।

प्रो. तिवारी एक लोकप्रिय शिक्षक रहे हैं, वह गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त हुए। साहित्य के अनवरत सहज साधक आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कुशीनगर की पगडंडियों से निकलकर दुनिया के तमाम देशों की दूरियां नापी है। प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी लम्बे समय तक दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में शिक्षक रहे हैं। वह वर्ष 2001 में विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। प्रो. तिवारी ने गांव की धूल भरी पगडंडी से निकलकर इंग्लैण्ड, मारीशस, रूस, नेपाल, अमरीका, नीदरलैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, चीन और थाईलैण्ड की जमीन नापी है। प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कई सम्मान हासिल किए। वह रूस की राजधानी मास्को में साहित्य के प्रतिष्ठित पुश्किन सम्मान से नवाजे गए, उन्हें उत्तर प्रदेश की सरकार ने ‘शिक्षक श्री का सम्मान भी दिया है।

प्रो तिवारी की पत्रिका दस्तावेज को मिल चुका है सरस्वती सम्मान

प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, भारत मित्र संगठन मास्को द्वारा पुश्किन सम्मान मिल चुका है। उनके द्वारा संपादित पत्रिका ‘दस्तावेज’ को सरस्वती सम्मान भी मिल चुका है।

सीएम योगी ने ट्वीट कर दी प्रो तिवारी को बधाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को पद्मश्री सम्मान मिलने पर बधाई दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, कि साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को पद्म श्री सम्मान से अलंकृत होने पर हार्दिक बधाई। मेरी मंगलकामना है कि समाज के उन्नयन हेतु साहित्य व शिक्षा जगत में आप निरंतर मूल्यवर्धन करते रहे।

प्रो तिवारी की प्रमुख रचनाएं


प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का रचना कर्म देश और भाषा की सीमा तोड़ता है। उड़िया में कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए। हजारी प्रसाद द्विवेदी पर लिखी आलोचना पुस्तक का गुजराती और मराठी भाषा में
अनुवाद हुआ। रूसी, नेपाली, अंग्रेजी, मलयालम, पंजाबी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तेलुगु, कन्नड़ व उर्दू में भी इनकी रचनाओं के लिए दर्जन भर से अधिक सम्मान पा चुके हैं विश्वनाथ प्रसाद अनुवाद हुआ। प्रो तिवारी 1978 से हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका दस्तावेज का लगातार प्रकाशन करते आ रहे हैं, सरकार ने उनको पत्रिका दस्तावेज के लिए भी सम्मानित किया है।

प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आचार्य और वर्ष 2013 से 2017 तक साहित्य अकादमी, दिल्ली के अध्यक्ष रहे हैं, उन्हें मूर्तिदेवी पुरस्कार मिल चुका है। यह पुरस्कार भारतीय संविधान में स्वीकृत 22 भाषाओं में से किसी एक की चयनित कृति को दिया जाता है। उनकी पुस्तक ‘अस्ति व भवति’ पर उन्हें यह सम्मान मिला है। इसके पूर्व डॉ. तिवारी को साहित्य अकादमी का महतर सम्मान, सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान, रूस का पुश्किन सम्मान, शिक्षक श्री सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, हिन्दी गौरव सम्मान, महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयनका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद का कृति सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैं। उनके कविता संग्रह, दो यात्रा संस्मरण, शोध व आलोचना के 11 ग्रंथ, 7 एक लेखकों का संस्मरण व एक साक्षात्कार पुस्तक प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने हिन्दी के कवियों, आलोचकों पर केन्द्रित 16 पुस्तकों
का सम्पादन किया है।

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