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अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी, बचाव ही सबसे सटीक इलाज : डॉ सुनील मिश्र

विश्व अस्थमा दिवस विशेष

द चेतक न्यूज

महाराजगंज : अस्थमा सांस से सम्बंधित एक गंभीर रोग है जो कि फेफड़ों के वायु मार्ग से सम्बंधित है, इसमें सांस लेने और छोड़ने में दिक्कत महसूस होती है। जनरल मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ओंकार राय बताते हैं कि आज के समय में ओपीडी में आने वाले मरीजों में 40% मरीजों की संख्या अस्थमा से पीड़ितों की है वर्तमान समय में वातावरण, प्रदूषण, अनुवांशिक, एलर्जी आदि वजहो से यह ट्रिगर होता रहे। ओपीडी में आने वाले मरीज सामान्य सांस की समस्या को लेकर आते हैं लेकिन जब उनकी जांच पड़ताल की जाती है तो यह पता चलता है कि इसमे से 40% मरीज अस्थमा से पीड़ित है। अस्थमा से बचाव के लिए उसके लक्षणों को जानना और बचाव ही प्रमुख उपाय है, साथ ही विशेषज्ञ की सलाह समय पर लेने से यह बीमारी काबू की जा सकती है, इसके प्रति जागरूकता के लिए मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है।

वर्तमान में प्रदूषण की वजह से अस्थमा के रोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। केएमसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील कुमार मिश्रा बताते हैं कि अस्थमा को दम भी कहा जाता है यह बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करने वाली एक दीर्घकालीन बीमारी है, अस्थमा में पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है, यह फेफड़ों की बीमारी है जो श्वांस मार्गों को प्रभावित करती है। आमतौर पर श्वांस मार्गो में सूजन के कारण श्वास नली संकुचित हो जाती है जो कि इस बीमारी का प्रमुख कारण बनती है। इसके प्रमुख लक्षणों में सांस लेने के दौरान सिटी जैसी आवाज आना, सांस फूलना, सीने में जकड़न और खांसी होना आदि शामिल है। इसके कई और कारक भी हो सकते हैं ऐसे में इसके लक्षणों को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारको से अपने आप को बचाने की जरूरत है। जिसमें कि प्रमुख रूप से धूल, मिट्टी, सूक्ष्म किट, खांसी जुकाम, आदि शामिल है। अभी तक अस्थमा के सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है, विशेषज्ञ यह भी मानते हैं की इसे पीढ़ी दर पीढ़ी भी देखा जाता है जिससे यह एक अनुवांशिक बीमारी भी हो सकती है। इसका कोई अस्थाई इलाज नहीं है, लेकिन दवा के सही प्रयोग से और इसके लक्षणों के रोकथाम से इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है। सामान्यतः देखा गया है कि अस्थमा के मरीजों में घबराहट, रात के समय खांसी, हंसने या फिर मेहनती काम करने के दौरान खांसी का आना, सीने में जकड़न व दर्द, तेजी से सांसों का चलना, चिंता या पैनिक होना, बोलने में दिक्कत, पर्याप्त नींद ना ले पाना आदि समस्याए आती है। इसके अतिरिक्त भी अलग-अलग मरीजों में अलग-अलग लक्षण देखे जाते हैं कुछ लोगो मे अस्थमा के लक्षण पूरे दिन महसूस होते है जबकि कुछ लोगों में कोई खास गतिविधि होते समय अस्थमा के लक्षण महसूस होते हैं। इसके रोकथाम के लिए सबसे पहले उन चीजों से दूर रहने की जरूरत है जो एलर्जी पैदा करते हैं या फिर जिनके संपर्क में आने से अस्थमा के दिक्कतें बढ़ जाती हैं, सामान्य धूल, धूप, धुंआ, मौसम परिवर्तन, एलर्जी वाली चीजों से दूर रहना, धूम्रपान से बचाव, जिनको एलर्जी है उनसे दूरी बनाए रखना आवश्यक होता है, कुछ मरीज डॉ के लाख कहने के बाद भी इनहेलर का प्रयोग नहीं करते है जबकि इसके तत्काल प्रयोग से बीमारी को रोक लिया जाता है, इसके ना तो कोई दुष्प्रभाव है और ना ही कोई लत लगती है, किसी भी बहकावे मे आने से बचे और विशेषज्ञ की सलाह से अपना इलाज करायेें।

 

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