प्रिंस की मौत के मामले में एससी एसटी आयोग ने एसपी और डीएम को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का दिया निर्देश
अज्ञात वाहन दिखाकर विवेचक ने फर्जी तरीके से मामले में लगा दी फाइनल रिपोर्ट
आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज
कुशीनगर : जिले के हनुमानगंज थानाक्षेत्र में बीते वर्ष के सितम्बर महीने में तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक अयोध्या प्रसाद सिंह की गाड़ी के ठोकर से मरे मासूम प्रिंस के मामले में पुलिस विभाग द्वारा अपने अधिकारी को बचाते हुए फर्जी तरीके से फाइनल रिपोर्ट लगाने का एससी एसटी आयोग ने संज्ञान लिया है तथा पुलिस अधीक्षक कुशीनगर और जिलाधिकारी कुशीनगर को नोटिस भेजकर मामले में अभीतक की गयी सम्पूर्ण कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है।
विदित हो कि बीते वर्ष 2021 में 16 सितम्बर को थाना हनुमानगंज अंतर्गत बुलहवा मस्जिदिया टोला निवासी राजेश भारती का पुत्र प्रिंस सड़क पार कर रहा था तबतक अचानक पडरौना की तरफ से आ रही तेज रफ्तार एडिशनल एसपी की गाड़ी ने मासूम प्रिंस को ठोकर मार दी, ठोकर लगते ही प्रिंस जमीन पर गिर पड़ा और गाड़ी का पहिया उसके सिर के ऊपर से गुजर गया, यह देखकर आनन फानन में गाड़ी रोककर एडिशनल एसपी अयोध्या प्रसाद सिंह ने प्रिंस को अपनी गाड़ी में लादकर तुर्कहां अस्पताल ले गए लेकिन वहां डॉक्टरों ने प्रिंस को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक ने बवाल होने की आशंका जाहिर करते हुए कई थानों की फोर्स बुलाकर जबरिया प्रिंस का अंतिम संस्कार करवा दिया। इसके बाद तत्कालीन हनुमानगंज थानाध्यक्ष पंकज गुप्ता ने पीड़ित परिवार पर दबाव बनाते हुए पीड़ित की तहरीर को बदलकर अपने हिसाब से अज्ञात वाहन के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर दिया तथा पीड़ित के मुताबिक थानाध्यक्ष ने धमकी दी कि पुलिस से उलझोगे तो तुमलोगों के साथ बहुत बुरा हो जाएगा।
मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में पुलिस विभाग द्वारा अपने अधिकारी को बचाते हुए अज्ञात वाहन के खिलाफ मुकदमा लिखकर मामले में एफआर लगा दिया तथा प्रिंस की गैर इरादतन हत्या की फाइल को बन्द कर दिया गया। इसके बाद बेटे की मौत के मामले में न्याय के लिए दर-दर भटक रही मासूम प्रिंस की माँ काजल ने न्याय की आस में कई जगह गुहार लगाई लेकिन अधिकांश जगहों से उसे निराशा ही मिली लेकिन राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने पीड़ितों के प्रार्थना पत्र का संज्ञान लेते हुए कुशीनगर पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें इस मामले में अभीतक की गयी सम्पूर्ण कार्यवाही का ब्यौरा दिए गए प्रारूप में भरकर एक सप्ताह के भीतर आयोग को भेजने का निर्देश दिया है।
अब देखना है की पुलिस विभाग अपने अधिकारी को बचाने के लिए कौन सी नई तरकीब निकालता है। इस घटना ने आम जनमानस में पुलिस की छवि को तो धूमिल किया ही है साथ ही लगातार वरिष्ट अधिकारियों की उपेक्षा उनकी अपनी सत्यनिष्ठा पर भी सवाल उठाता है।