“शशिकांत मिश्रा” : भारत ने 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन वैश्विक कोरोना महामारी के चलते टीबीउन्मूलन मिशन में तमाम रुकावटे आ रही है। इसकी एक वजह भारत मे टीबी के मरीजो की संख्या ज्यादा होना भी है भारत मे हर साल 22 लाख से ज्यादा लोग टीबी से संक्रमित हो रहे है। टीबी की वार्षिक रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत में वर्ष 2019 में 24.04 लाख से ज्यादा टीबी के रोगी थे। वर्ष 2018 के टीबी आंकड़ो के मुकाबले वर्ष 2019 में टीबी के मरीजो की संख्या में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ो की बात करें तो विश्व की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा टीबी से संक्रमित है। विश्व के लगभग 21 प्रतिशत टीबी के मरीज भारत में हैं, भारत मे टीबी संक्रमण के कारण एक मिनट में लगभग दो व्यक्तियों की मौत हो जाती है। अगर टीबी के संक्रमण की बात की जाए तो यह इतना खतरनाक है की टीबी का एक मरीज एक वर्ष में 10-15 लोगो टीबी का संक्रमण दे सकता है। जहां एक तरफ हर साल टीबी के मरीजो की संख्या लगातार बढ़ रही है ऐसे में भारत 2025 तक टीवी को पूर्ण रूप से खत्म कर पायेगा फिलहाल आंकड़ो को देखकर तो यह सम्भव नही लगता है।
अभी कुछ दिन पहले ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीबी एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के निदेशक डॉ. रविन्द्र कुमार दीवान ने इंडिया साइंस वायर से खास-बातचीत में यह स्वीकार किया था कि भारत ने वर्ष 2025 तक टीबी को पूर्ण रूप से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन कोविड-19 के कारण 2025 का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल है 2025 में यह लक्ष्य पूरा नहीं होता, तो उसके ठीक बाद हम इसको अवश्य ही प्राप्त कर लेंगे। टीबी बीमारी की गंभीरता को देखते हुए वर्ष 2021 में विश्व टीबी दिवस की थीम ‘द क्लॉक इज टीकिंग’ यानी ‘समय बीत रहा है’ तय की गई है।
शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र है महत्वपूर्ण ?
हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हमे विभिन्न प्रकार के बीमारियों से बचाता है। लेकिन जब यही प्रतिरक्षा तंत्र कमजोड़ हो जाता है तो हम बीमार पड़ जाते है। टीबी एक खतरनाक बीमारी है लेकिन अगर समय रहते इस बीमारी का पता चल जाये तो इसका पूर्ण इलाज संभव है।
हम टीबी के बारे में कितना जानते है ?
टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है, जो एक ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ नामक बैक्टीरिया से होता है। वर्ष 1882 में 24 मार्च के दिन ही जर्मन चिकित्सक और माइक्रो-बायोलॉजिस्ट डॉ. रॉबर्ट कोच ने अपने शोध में पाया था कि टीबी की बीमारी का कारण ‘टीबी बैसिलस’ है। इसी वजह से हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
किन अंगों को प्रभावित करता है टीबी ?
वैसे तो टीबी का वायरस किडनी, त्वचा ,आंत, मस्तिष्क, हड्डियों,जोड़ों, तथा हृदय को प्रभावित करता है लेकिन मुख्य रूप से यह फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है।
टीवी के लक्षण..?
दो हफ्ते या उससे अधिक समय से खांसी आना टीबी का मुख्य लक्षण हो सकता है। लेकिन, शाम को बुखार आना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना यह सब टीवी के अन्य लक्षणो में से एक है।
ऐसे फैलता है टीवी का संक्रमण
आपको यह समझ लेना चाहिए कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। लेकिन इसमे भी,फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक बीमारी है। फेफड़ों की टीबी के रोगी के बलगम में टीबी के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। जो मरीज के खांसने, छींकने और थूकने से ये बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं, और अन्य व्यक्ति के सांस लेने से यह बैक्टीरिया उस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुँच जाते है और उसे संक्रमित कर देते हैं।
ऐसे बचे टीवी के संक्रमण से..?
वैसे तो साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना है लेकिन अगर कोई टीबी का मरीज छींकता है, या खांसता है, तो इसके ड्रॉपलेट पॉच फीट तक जाते हैं। ऐसे में, हम मास्क लगाकर और सामाजिक दूरी बनाकर टीबी के संक्रमण से बच सकते हैं,इस तरह से संक्रमण को कम कर हम टीवी को आसानी से खत्म भी कर सकते हैं।
टीवी के मरीजो के लिए सलाह..?
टीबी के मरीजो को निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए हमेसा खांसते या छींकते समय मुंह पर रूमाल या कोई साफ कपड़ा रखना चहिए। मरीज को सार्वजनिक जगहों पर थूकना नहीं चहिए। मरीज को अपनी बलगम को इकट्ठा करके उसे उबालकर बहते पानी में बहा देने. या फिर जमीन में दबा देने से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। टीबी के मरीजों को अपना उपचार पूरा कराने की सलाह दी जाती है। यदि बीच में उपचार छोड़ दिया जाए, तो टीबी से निजात पाना कठिन हो जाता है। अगर टीबी के मरीज व उनके परिजन थोड़ी सी समझदारी दिखाए तो टीबी पर हम काबू पा सकते है।
टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को भारत सरकार गंभीरतापूर्वक चला रही है।
भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी को पूर्ण रूप से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। भारत सरकार रैपिड मॉलिक्यूलर टेस्ट के माध्यम से निःशुल्क परीक्षण को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही, टीबी मरीजों के निःशुल्क उपचार, उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं, वित्तीय और पोषण संबंधी सहायता भारत सरकार ने पूरे देश में जगह-जगह डॉट्स सेंटर बनाए हैं, जहां टीबी की निशुल्क जाँच और उपचार किया जाता है। वहीं, सरकार
गैर-सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र की सहभागिता पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप) मॉडल के तहत भी टीबी के इलाज को बढ़ावा दे रही है। भारत सरकार टीबी उन्मूलन का कार्यक्रम बहुत ही गंभीरतापूर्वक चला रही है।