द चेतक न्यूज
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ सुनवाई कर रहे मजिस्ट्रेट ने इस केस से खुद को अलग करने के लिए जिला जज से सिफारिश की है, मजिस्ट्रेट ने जिला जज को पत्र लिखकर अपने पास से इस केस को हटाने की मांग की है। प्रयागराज के एक मजिस्ट्रेट यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की कथित फर्जी डिग्री मामले की सुनवाई कर रही हैं, इस मामले की सुनवाई कर रहीं मजिस्ट्रेट ने जिला जज को पत्र लिखकर सुनवाई से अलग करने की मांग की है। उन्होंने जिला जज को भेजे गए पत्र में लिखा है कि केशव प्रसाद मौर्य विधानसभा सदस्य हैं, लिहाजा इस मुकदमे की सुनवाई उनके कार्यक्षेत्र के बाहर है, इस पर वह सुनवाई नहीं कर सकती हैं तथा उन्होंने इस मामले को सुनवाई के लिए एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है, हालांकि कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की तारीख 30 जुलाई तय की गई है।
बताते चलें कि वर्ष 2007 में शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र से केशव प्रसाद मौर्य ने विधानसभा का चुनाव लड़ा था तथा इसके बाद वह कई बार चुनाव लड़े। उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा जारी प्रथमा, द्वितीया की डिग्री लगाई है जो कि प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, इन्हीं डिग्रियों के आधार पर उन्होंने इंडियन ऑयल कारपोरेशन से पेट्रोल पंप भी प्राप्त किया है। केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ पड़ी अर्जी में यह भी आरोप लगाया गया है कि शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अलग-अलग वर्ष अंकित है एवं इनकी मान्यता नहीं है।
इस मामले में शिकायतकर्ता दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार उन्होंने इस मामले के सम्बन्ध में स्थानीय थाना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर उत्तर प्रदेश, सरकार भारत सरकार के विभिन्न अधिकारियों मंत्रालयों को प्रार्थना पत्र दिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई अतः उन्हें मजबूरन न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
अब सोचने वाली बात यह है कि जब वह मजिस्ट्रेट इस केस की सुनवाई कर रही थी तो फिर उन्होंने अचानक केस से अलग जाने का फैसला क्यों कर लिया..? आखिर ऐसा कौन सा कारण है जो कि उन्हें इस केस की सुनवाई करने से दूर लेकर जा रहा है.. कहीं सत्ता पक्ष का दबाव तो नहीं….? ऐसे कई सवाल हैं जो मजिस्ट्रेट के पत्र से खड़े हो रहे हैं तथा जनता के मन में जाग रहे हैं।