कुशीनगर : जिले के विभिन्न छठ घाटों पर रविवार को व्रती महिलाओं ने डूबते हुए भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना कर सुख, शांति व समृद्धि की कामना की। चार दिनो तक चलने वाले इस महापर्व के आखिरी दिन सोमवार को श्रद्धालु सुबह उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित कर उपवास तोडेगी।
लोक आस्था और सू्र्य उपासना का पहला अर्घ्य
लोक आस्था और सू्र्य उपासना के पर्व छठ के तीसरे दिन रविवार को पहला अर्घ्य दिया गया। शाम के समय डूबते हुए भगवान सूरज को नदियों के किनारे जल चढ़ाया गया। पडरौना नगर सहित जनपद के सभी छठ घाटों पर हजारों की संख्या मे श्रद्धालुओं ने आस्ताचलगामी होने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की।
घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम
षष्ठी छठ के तीसरे दिन पर्व को लेकर व्रती घाट से लेकर विभिन्न नदियों के तटों, तालाब और जलाशयों पर पहुंची और भगवान भास्कर की विधिवत पूजा-अराधना की। घाटो पर छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। जिले के सभी छठ घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा समापन
खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया था। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा. इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करेंगी। हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है. इस दौरान व्रती भगवान प्रकाशक की अराधना करते हैं।
छठ गीतों की रही धूम
छठ की संध्या अर्ध्य को लेकर जगह-जगह छठ गीत से पूरा वातावरण गुंजयमान रहा। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में संध्या अर्ध्य को लेकर छठ घाटों पर भारी संख्या मे भीड़ रही। सोमवार को सुबह उदीयमान भगवान तपन को अर्घ्य अर्पित करने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा. इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करेंगी। हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है. इस दौरान व्रती भगवान भास्कर की अराधना करते हैं।