जन्माष्टमी के दिन 30 वर्ष पूर्व हुए पचरुखिया कांड को याद कर सिहर उठती है कुशीनगर पुलिस
कुशीनगर : Shri Krishna Janmashtami प्रदेश भर में पुलिस थानों पर कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाने की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन धूमधाम से आयोजित होने वाले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का नाम आते ही कुशीनगर के पुलिस कर्मियों के जेहन में गम छा जाता है और जिले के चर्चित पचरुखिया कांड की याद ताजा होते ही पुलिस कर्मियों की रूह कांप जाती है। कहा जाता है कि इस दिन काली अंधियारी रात में नाव से बांसी नदी पार करने के दौरान जंगल दस्युओं ने पुलिस कर्मियों पर बम फेंकने के साथ ताबड़तोड़ 40 राउंड गोलियां बरसाईं थी, जिसमें तत्कालीन जाबांज तरयासुजान एसओ अनिल पांडेय, कुबेरस्थान एसओ राजेंद्र यादव समेत छह पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे और इनके अलावा नाविक की मौत होने के साथ ही चार पुलिस कर्मी घायल भी हुए थे। इस कांड के बाद कुशीनगर पुलिस उनकी शहादत में जनपद सृजन के 25 साल से पुलिस लाइन समेत जिले के सभी थानों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाती है।
बताया जाता है कि 30 वर्ष पहले कृष्ण जन्माष्टमी की रात में जंगल पार्टी के डकैतों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, तभी से यहां की पुलिस साथियों को खोने के दर्द की वजह से जिले के किसी भी थानों पर जन्माष्टमी नहीं मनाती है।
29 अगस्त वर्ष 1994 की बात है, कुशीनगर इसी वर्ष देवरिया से अलग होकर नए जिले के रूप में स्थापित हुआ था तो इस वर्ष नया जिला सृजित होने की खुशी में कुशीनगर जिले के पुलिसकर्मी सभी थानों पर कृष्ण जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाने में जुटे हुए थे। इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि कुबेरस्थान थाने के पचरूखिया घाट के पास जंगल दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही आदि सहित जंगल पार्टी के कुछ डकैत छिपे हुए हैं और वह पचरूखिया के ग्राम प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डकैती डालकर उनकी हत्या का योजना बना रहे हैं। इसकी सूचना कोतवाली पडरौना के तत्कालीन कोतवाल योगेंद्र प्रताप सिंह ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बुद्धचंद को दी, सूचना मिलने पर एसपी ने कोतवाल को थाने में मौजूद फोर्स के अलावा मिश्रौली डोल मेला में लगे जवानों को लेकर मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया तथा एसपी ने थानाध्यक्ष तरयासुजान अनिल पांडेय को इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया। डकैतों के छिपे होने की सूचना मिलते ही बदमाशों की धर पकड़ के लिए सीओ पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम में सीओ हाटा गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेंद्र सिंह, आरक्षी मनिराम चौधरी, रामअचल चौधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पांडेय को शामिल किया गया और दूसरी टीम में एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय के नेतृत्व में एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, श्यामा शंकर राय, अनिल सिंह व नागेंद्र पांडेय की टीम सात साढे़ नौ बजे बांसी नदी किनारे पहुंचे। नदी किनारे पंहुचने पर पता चला कि जंगल दस्यु तो पचरूखिया गांव में छिपे हुए हैं। उस समय नदी को पार करने के लिए नाव ही एक मात्र साधन थी तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुलाकर डेंगी नाव से उस पार चलने को कहा, नाविक भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिस कर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचाया, लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिलने पर पहली खेप में सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मी नदी इस पार वापस आ गए तथा एसओ अनिल पाण्डेय की नाव जैसे ही नदी की बीच धारा में पहुंची, तभी डकैतों ने नदी में बम फेंक दिया और पुलिस पर अंधाधुध फायरिंग शुरू कर दी, अचानक हुई फायरिंग के जबाव में पुलिस ने भी गोलियां दागी, लेकिन नाविक को गोली लग जाने से नाव अनियंत्रित होकर पलट गई जिससे नाव में सवार सभी पुलिसकर्मी नदी में गिर गए, इस दौरान बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ 40 राउंड फायर किया। नाव पलटने से नदी में डूब रहे लोगों में से तीन पुलिसकर्मी तो तैर कर बाहर आ गए, लेकिन एसओ अनिल पांडेय, एसआई राजेंद्र यादव, कांस्टेबल नागेंद्र पांडेय, कांस्टेबल खेदन सिंह, कांस्टेबल विश्वनाथ यादव और परशुराम गुप्ता की नदी में डूबने से मौत हो गई। एसओ सहित पुलिसकर्मियों की मौत की सूचना से पूरे जिले में हड़कम्प मच गया, इस घटना की जानकारी तत्कालीन सीओ सदर आरपी सिंह ने वायरलेस से एसपी को दी, इसके बाद मौके पर पहुंची फोर्स ने डेंगी सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन की। इस कांड में एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय, एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली के आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त शहीद हो गये तथा नाविक भुखल भी मारा गया तथा दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय व अनिल सिंह घायल हो गए।
इस घटना के बाद से ही कुशीनगर पुलिस के लिए जन्माष्टमी अभिशप्त हो गई तथा जन्माष्टमी का त्यौहार आते ही इसकी कसक आज भी पुलिसकर्मियों के जेहन में ताजा हो जाती है, यही कारण है कि जनपद के पुलिस लाइन सहित किसी भी थाने में जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती है।
इस कांड के बाद घटनास्थल पर पुलिस के हथियार व कारतूस बरामद तो हुए, लेकिन अनिल पांडेय की पिस्तौल का आजतक कोई सुराग नहीं लग पाया, इस घटना के बाद तत्कालीन डीजीपी ने भी घटना स्थल का दौरा कर मुठभेड़ की जानकारी ली थी, जिस दौरान तत्कालीन एसपी बुद्धचन्द पर गम्भीर आरोप भी लगे थे।
पडरौना कोतवाली में जांबाज शहीदों की याद में बना है स्मृति द्वार
पडरौना कोतवाली में पचरुखिया कांड में शहीद हुए जाबांज पुलिसकर्मियों की याद में स्मृति द्वार भी बना है, जो हमें पचरुखिया कांड में शहीद हुए पुलिसकर्मियों की याद दिलाता है।