द चेतक न्यूज
कुशीनगर : जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक व उनका कार्यालय इन दिनों चर्चा में बना हुआ है, डीआईओएस कार्यालय में कार्य करने वाला एक प्राइवेट आदमी की वजह से जिविनि का कार्यालय चर्चा का विषय बना हुआ है। उक्त युवक का नाम सर्वेश्वर तिवारी बताया जा रहा है, वह न तो डीआईओएस कार्यालय का कोई कर्मचारी है और न ही किसी विद्यालय में शिक्षक है, इसके बावजूद वह न सिर्फ डीआईओएस दफ्तर का मालिक बन महत्वपूर्ण पटल संचालित करता है बल्कि जिला विद्यालय निरीक्षक के साथ साये की तरह देखा जाता है। सूत्रों के अनुसार खबर यह भी है कि रामकोला क्षेत्र में संचालित एक विद्यालय में दो व्यक्तियों के पदोन्नति हेतु फर्जी तरीके से डीआईओएस का हस्ताक्षर कर जेडी के यहां फाइल भेजने के मामले में भी इसी सर्वेश्वर का नाम सामने आया था।
ज्ञात हो कि सर्वेश्वर तिवारी उर्फ सोनू जिला पुस्तकालय में आउटसोर्सिंग के जरिये चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है लेकिन सूत्रों के अनुसार जब से श्रवण कुमार गुप्ता कुशीनगर में जिला विद्यालय निरीक्षक का कार्यभार संभाले है तब से सर्वेश्वर तिवारी की डीआईओएस कार्यालय में इस कदर सक्रियता बढ गयी है जैसे वह संबंधित विभाग का ओएस (आफिस सुप्रिडेंट) हो, श्रवण गुप्ता के जिला विद्यालय निरीक्षक बनने से पूर्व सर्वेश्वर तिवारी डीआईओएस दफ्तर के आजू-बाजू भी नही फटकता था।
बताया जाता है कि नवागत डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्ता के आने के बाद सर्वेश्वर तिवारी का इस कार्यालय पर डंका बजने लगा है, विभागीय सूत्रो का यह भी कहना है कि सर्वेश्वर इस कार्यालय का कोई कर्मचारी न होने के बाद भी सभी महत्वपूर्ण पटलो की फाइल इधर-उधर करते हुए देखा जाता है, इतना ही नहीं सूत्रों का कहना है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने के बाद वह बोर्ड की कॉपी और पेपर भी लेकर परीक्षा केंद्रों पर पँहुचाने गया हुआ था। सूत्रों का ऐसा दावा है कि सर्वेश्वर तिवारी जिला विद्यालय निरीक्षक श्रवण कुमार गुप्ता का वह सिपहसलार है जो साया की तरह उनके साथ रहता है। सूत्र यह भी बताते हैं कि सर्वेश्वर तिवारी जिला विद्यालय निरीक्षक के नाम पर इण्टर कॉलेज से बेड, टीवी, एसी, कूलर सहित नगद धनराशि की डिमांड भी करता रहता है। सवाल इस बात का है कि सर्वेश्वर द्वारा की जा रही वसूली में डीआईओएस की रजामंदी है या नही अथवा सर्वेश्वर द्वारा की जा रही वसूली मे कितनी सच्चाई है यह तो जांच का विषय है लेकिन क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
क्षेत्र में यह भी चर्चा है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित यूपी बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्रो को विद्यालय तक भेजवाने मे भी अवैध कर्मचारी सर्वेश्वर की भूमिका अहम रही। जानकारों का कहना है कि विभागीय कर्मचारी न होने के कारण सर्वेश्वर से गोपनीयता भंग होने की आसार बढ जाता है, इसके बावजूद वह जिला विद्यालय निरीक्षक का चेहता बना हुआ है और विभागीय कर्मचारियों पर अपना धौंस साहब की तरह जमाता है।