आरटीआई कार्यकर्ता शशिकांत मिश्रा द्वारा मांगी गई सूचना से हुआ बड़ा खुलासा
कुशीनगर जिले के 6 थानों ने नहीं उपलब्ध कराई गुमशुदगी से सम्बंधित जानकारी
द चेतक न्यूज
कुशीनगर : जिले में एक समाजसेवी द्वारा पुलिस विभाग से लापता बच्चों व महिलाओं से सम्बंधित मांगे गए आंकड़ों से एक चौंकाने वाली बात सामने आयी है। दिए गए आंकड़ों के अनुसार पुलिस विभाग ने यह स्वीकार किया है कि जिले में दर्ज हुए बच्चों के गुमशुदगी के 2125 मामलों में से 124 बच्चों की बरामदगी अभी नहीं हो पायी है, हालांकि इसमें अभी जिले के कोतवाली पडरौना, जटहाँ बाजार, कुबेरस्थान, रविंद्रनगर धुस, महिला थाना व तुर्कपट्टी थाने ने अपना आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया है, इसी प्रकार जिले में दर्ज महिलाओं व युवतियों की गुमशुदगी के 2106 मामलों में 114 युवतियों व महिलाओं की बरामदगी अभी तक नहीं हो पायी है, इसमें भी कोतवाली पडरौना, जटहाँ बाजार, कुबेरस्थान, रविंद्रनगर धुस, महिला थाना व तुर्कपट्टी थाने ने अपना आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया है।
मिली जानकारी के अनुसार 2018 से अबतक गुमशुदगी के दर्ज मामलों में से कुशीनगर पुलिस 124 लापता किशोरों व 114 किशोरियों का अब तक पता नहीं लगा सकी है, यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता शशिकांत मिश्र को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी से हुआ है। आरटीआई के तहत मांगी सूचना में जिले के 21 थानों में से 15 थानों ने ही डाटा उपलब्ध कराया है, इसमें छह थानों से सूचना ही उपलब्ध नहीं कराई गयी है।
बताते चलें कि आरटीआई कार्यकर्ता शशिकांत मिश्र ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय से एक जनवरी, 2018 से जुलाई 2025 तक गायब किशोर-किशोरियों, युवतियों व महिलाओं के बारे में जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना उपलब्ध कराने की मांग की थी। इसका जवाब देते हुए पुलिस की तरफ से बताया गया कि 2018 से जुलाई 2025 तक अब कुल 2,125 किशोर-किशोरियों के गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए थे। इनमें से पुलिस ने अब तक 2001 को सकुशल बरामद कर लिया है, बावजूद इसके 124 किशोर किशोरियों का आज तक कोई सुराग नहीं लग सका है। पुलिस का कहना है कि इनकी तलाश लगातार जारी है। दूसरी तरफ, इसी आरटीआई के जवाब में पुलिस ने लापता युवतियों और महिलाओं की भी सूचना उपलब्ध कराई है। पुलिस के रिकार्ड बता रहे हैं कि वर्ष 2018 से जुलाई 2025 के बीच कुल 2,106 महिलाएं और युवतियां गायब हुईं। इनमें से 1,992 को खोज निकाला गया, जबकि 114 का अब तक कोई अता-पता नहीं चल सका है। आरटीआई कार्यकर्ता शशिकांत मिश्र का कहना है कि कुशीनगर के 21 थानों में से केवल 15 थानों ने ही यह आंकड़ा उपलब्ध कराया है। छह थानों कोतवाली पडरौना, जटहा बाजार, रविंद्रनगर, कुबेरस्थान, तुर्कपट्टी, महिला थाना से अभी तक सूचना नहीं मिली है, ऐसे में वास्तविक आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक मामले महिला और किशोरियों की गुमशुदगी से जुड़े हुए हैं। हालांकि, पुलिस ने अधिकतर मामलों में सफलता हासिल की है, लेकिन सैकड़ों परिजनों के लिए अपने लापता बच्चों और परिजनों की वापसी अब तक सिर्फ इंतजार बनकर रह गई है।
आरटीआई कार्यकर्ता व WYSO के अध्यक्ष शशिकांत मिश्र ने कहा कि कुशीनगर जनपद मानवतस्करी की दृष्टि से अतिसंवेदनशील श्रेणी में आता है। वर्ष 2018 से 2025 तक विभिन्न कारणों से लापता बच्चों और महिलाएं अभी तक बरामद नहीं हो सके हैं या फिर पुलिस उनकी खोज नहीं कर पाई है। ऐसी परिस्थिति में एसपी कुशीनगर की देखरेख में एक विशेष टीम का गठन किया जाना चाहिए, जो तय समयावधि के भीतर लापता किशोर-किशोरियों, युवतियों और महिलाओं की खोजबीन कर सके। वहीं, पुलिस विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लापता किशोर- किशोरियों और महिलाओं की बरामदगी के लिए लगातार प्रयास जारी है। साइबर सेल, महिला हेल्प डेस्क और विभिन्न जिलों व राज्यों की पुलिस से भी लगातार संपर्क साधा जा रहा है।