गोरखपुर : सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय युवा संन्यासी स्वामी राम शंकर उर्फ डिजिटल बाबा ने चार नवम्बर को देव उठनी एकादशी के दिन से गोमुख घाट पर विधिवत पूजा पाठ कन्या भोज के उपरान्त ओमकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा प्रारम्भ किया है।
बताते चलें कि स्वामी राम शंकर ऐसे युवा संन्यासी है जो युवा वर्ग को आध्यात्म भारतीय संस्कृति के विषय मे लगातार सोशल मीडिया के जरिये जागरूक करते रहते हैं, युवा वर्ग को जीवन मे अध्यात्म के महत्व को समझाते रहते हैं। डिजिटल बाबा को लोकप्रिय सोशल मीडिया फेसबुक पर उनके पेज पर देश और दुनिया भर से डेढ़ लाख फॉलो करते हैं।
माता नर्मदा की परिक्रमा के सम्बन्ध में डिजिटल बाबा ने बताया कि मां नर्मदा की परिक्रमा मेरे जीवन का नितांत निजी अनुभव का विषय है इसे सोशल मीडिया के जरिये लोगो के मध्य दिखाने का उद्देश्य परिक्रमा के महत्व को समाज के युवा पीढ़ी तक पंहुचाना है ताकि प्रेरित होकर अधिक से अधिक संख्या में युवा माँ नर्मदा परिक्रमा में शामिल हों। उन्होंने बताया कि परिक्रमा के जरिये साधक के भीतर भक्ति ईश्वर कृपा बढ़ती है साथ ही साथ समाज की वस्तु स्थिति संस्कृतिक स्थिति जीवन दर्शन का जो अनुभव साक्षात होता है, वह किन्ही अन्य साधन से कदापि सम्भव नही है। जब प्रतिकूल परिस्थिति में हम जीवन जीने का अभ्यास करते है तब हमारे मन मे पर्याप्त सामर्थ्य प्रगट होता है जिसके फलस्वरूप मुक्ति का मार्ग हो अथवा संसार के किसी अमुक क्षेत्र में सफल होने हेतु संघर्ष हम अडिग अचल होकर लक्ष्य प्राप्ति हेतु नवरत्न साधना में लगे रहते है। ये सारी बाते परिक्रमा से सीखने को प्राप्त होती है जो युवा वर्ग को अंतर्मुखता प्रदान करेगी संसारिक उन्नति के साथ आत्मकल्याण हेतु युवा पीढ़ी जागरूक होगी। डिजिटल बाबा ने कहा कि बहुत सारे लोग एवम संस्था विषय परिक्रमा वासी के सेवा में अलग अलग स्थानों में निरंतर सहयोग पहुँचा रहे है हमारी कोशिश रहेगी कि दुनियां के समक्ष उनके कार्यो को सोशल मीडिया के जरिये दिखाऊ बताऊँ, जो ज्ञानी ध्यानी सन्त जन मार्ग में मिलेंगे उनके जीवन दर्शन ज्ञान को सबसे रूबरू कराऊँ। स्वामी रामशंकर उर्फ डिजिटल बाबा ने बताया कि पूरे परिक्रमा का वह अपने फेसबुक पेज के माध्यम से लाइव प्रसारण समय-समय पर हम करते रहेंगे ताकि जो वृद्ध जन शक्ति सामर्थ्य के अभाव में परिक्रमा नही कर पा रहे उन्हें परिक्रमा का दर्शन लाभ प्राप्त हो सके।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पले-बढ़े डिजिटल बाबा गोरखपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी. काम. अन्तिम वर्ष की पढाई करने के दौरान ही घर-परिवार, संसार को छोड़कर आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो गये तथा वर्ष 2008 में 11 नवंबर को अयोध्या के लोमश ऋषि आश्रम के महंत स्वामी शिवचरण दास महाराज से दीक्षा प्राप्त कर वैरागी परम्परा के भक्ति मार्ग में अपना जीवन समर्पित कर दिये।
स्वामी राम शंकर डिजिटल बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के ग्राम खजुरी भट्ट में 1 नवम्बर 1987 को हुआ। आपके पिता श्री नन्द किशोर जी कर्मकांड के आचार्य हैं माता रंजना देवी गृहणी हैं। हिमालय क्षेत्र से बेहद लगाव होने के कारण गुरुकुलो में आध्यात्मिक अध्ययन पूरा करने के बाद वर्ष 2017 जुलाई माह से स्वामी जी हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ धाम में स्थित नागेश्वर महादेव मन्दिर में स्थायी रूप से रह कर आप अपने आध्यात्मिक साधना में संलग्न हैं।
स्वामी जी कहते है बाहर चाहे कितना भी घूम लो, विषयो के आनंद से स्वयं को कितना भी सींच लो पर जब तक ब्रम्हानंद का रस नहीं चखे तब तक जीवन में तृप्ति का आभाव बना रहेगा एवं संसार में आवागमन चलता रहेगा। ये मानव तन केवल हरिकृपा से सुलभ होता है अतः अब जब यह दुर्लभ अवसर मिल गया है तो इस जीवन को समझने के लिये हरपल सत्संग, आत्मचिंतन करते रहिये अन्यथा ये अमूल्य जीवन हमारे हाथ से निकल जायेगा अंत काल में हमें पछतावा होगा। स्वामी राम शंकर जी के भीतर सनातन धर्म के शास्त्रो के अध्ययन की उत्कट इच्छा रही जिसके कारण आप दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड़ गुजरात, कालवा गुरुकुल जीन्द हरियाणा,चिन्मय मिशन द्वारा संचालित गुरुकुल सांदीपनि हिमालय, तपोवन कांगड़ा हिमाचल, बिहार स्कूल ऑफ़ योग के रिखिया पीठ देवघर झारखण्ड, कैवल्य धाम योग विद्यालय लोनावला महाराष्ट्र व इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ छत्तीसगढ़ में रहकर पिछले 8 वर्षो में वेद – उपनिषद, रामायण, भगवद्गीता, योगशास्त्र व संगीत का गहन अध्ययन किया है।
फ़िल्म अभिनेता बनना चाहते थे डिजिटल बाबा
युवावस्था में ही वैराग्य को प्राप्त कर जनसामान्य को ईश्वर से रूबरू कराने वाले स्वामी रामशंकर उर्फ डिजिटल बाबा अपने जीवन में एक फिल्म अभिनेता बनना चाहते थे, इसके लिये इन्होंने अनेक नाट्य संस्थानों में अभिनय सीखा, नाटकों में रंगमंच पर अभिनय किया, साथ ही साथ विद्यार्थी जीवन के दौरान सामाजिक कार्यो में N.C.C.कैडेट के रूप में आप बेहद सक्रिय रहे।
युवावस्था में ही संन्यासी जीवन में आने के विषय में स्वामी जी कहते है कि उस वक्त मेरी आयु मात्र 20 वर्ष थी सच कहूँ तो मुझे पता भी नहीं था संन्यासी जीवन होता कैसा है? एक दिन की बात है मेरे परिचित श्री मनोज शर्मा जी जो उम्र में काफी बड़े थे उन्होंने कहा कि कहा तुम संन्यासी की तरह रहते हो फिर पुरे संन्यासी क्यों नहीं बन जाते, लौकिक जगत में रहोगे तो तुम्हारा सुख चैन समाप्त हो जायेगा, उन्होंने गुरुदेव का पता बताया और हम उनके पास चुपके से जा कर मिल आये, गुरुदेव ने कहा नवम्बर में तुम्हारी दीक्षा होगी 1 नवम्बर को मैं घर वालो की नज़र से छुप कर आश्रम चला गया जहा 11 नवम्बर 2008 को हमें दीक्षा प्राप्त हो गयी।
स्वामी राम शंकर की सबसे खास बात ये है कि ये हर आयु वर्ग में घुलमिल जाते है इन्ही खूबियों की वजह से ये युवाओं के मध्य अत्याधिक लोकप्रिय हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के साथ ऑनलाइन संवाद में आप सक्रिय रहते हैं, श्रद्धालु श्रोता जन आसानी से स्वामी की के साथ जुड़ सकते हैं। स्वामी रामशंकर जी कहते हैं कि आप हमसे फोन काल कर अपनी आध्यात्मिक समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं, हमने किसी संस्था का निर्माण नहीं किया है, हम फक्क्ड़ साधू हैं, हर पल बालवत मौज में रहते हैं, जैसे अन्दर वैसे ही बाहर रहते हैं, न कोई मैनेजर न ही कोई बनावटी व्यवहार।
श्रीराम कथा एवं श्रीमद्भागवत कथा का वाचन कर लोगो में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने वाले स्वामी राम शंकर जी कथा सुनाने के लिये दक्षिणा के रूप में कभी धन की मांग नहीं करते। आप गांव में रहते है या शहर में आपकी अपनी क्षमता में स्वामी जी आपके मध्य निःशुल्क प्रवचन सेवा हेतु आसानी से उपलब्ध हो जाते है। आज के दौर में जहा अमूमन लोग धन के पीछे भाग रहे है ऐसे समय में भारतवर्ष के भीतर स्वामी राम शंकर महाराज त्याग की तपोमूर्ति है। स्वामी जी को भक्तजन द्वारा स्वेच्छा से जो धन प्राप्त होता है उस धन को उसी स्थान के जरूरत मन्द लोगो में स्वामी जी वितरित कर देते है।