
सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच के लिए डिजिटल सुविधाओं का सार्वभौमिकरण सुनिश्चित करना,अनाथ बच्चों को तत्काल पुनर्वास के लिए सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किए जाए।
देश : राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग(एन०एच०आरसी) ने बच्चों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को देखते हुए उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए परामर्श जारी किया है : केंद्र व राज्य सरकारों को समय रहते आवश्यक कदम उठाने को बोला गया है।
कोरोना की दूसरी लहर बहुत प्रभावी थी इसमे बड़े पैमाने पर लोगो की जाने गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव सबसे ज्यादा बच्चो पर होगा जिसको देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 3 जून 2021 को परामर्श जारी किया है जारी परामर्श में कहा गया है बच्चों पर महामारी के निरंतर प्रभाव और महामारी की तीसरी लहर के बारे मे विशेषज्ञों की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किया है।
आयोग ने कहा है इसमें विभिन्न प्राधिकरणों की रिपोर्ट में महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए किए गए विशिष्ट उपायों को शामिल करना अपेक्षित है। परामर्श में कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल देखभाल संस्थानों और अनाथ बच्चों के चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है।
आयोग द्वारा जारी कुछ महत्वपूर्ण परामर्श इस प्रकार है…
• बाल चिकित्सा कोविड अस्पतालों और प्रोटोकॉल को मजबूत करें। सभी अस्पतालों को चाइल्डलाइन (1098), स्थानीय बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू), स्थानीय पुलिस, आदि की संपर्क जानकारी प्रमुखता से प्रदर्शित करनी चाहिए।
• केन्द्र और राज्य स्तर पर मंत्रालयों और विभागों को भी अपनी वेबसाइट पर तुरंत और प्रमुखता से कोविड से संबंधित एक पेज स्थापित करना चाहिए ताकि कोविड महामारी के दौरान बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित सभी महत्वपूर्ण परिपत्रों और आदेशों को साझा किया जा सके और कार्यान्वयन की प्रगति की सूचना दी जा सके।
• जिलाधिकारियों को माता-पिता की मृत्यु के 4-6 सप्ताह के भीतर मौजूदा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और नीतियों से जोड़कर उन परिवारों को आर्थिक रूप से समर्थन देने के लिए कदम उठाने हैं, जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। इसमें प्रधानमंत्री द्वारा 29/05/2021 को ’पीएम- केयर्स फाॅर चिल्ड्रेन’ योजना के तहत घोषित लाभों में तेजी लानें के लिए कदम शमिल होने चाहिए।
• उच्चतम न्यायालय के दिनांक 28/05/2021 के आदेश और एनसीपीसीआर द्वारा सभी मुख्य सचिवों को दिनांक 26/05/2021 को दिए गए निर्देशों के अनुपालन में कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए सभी बच्चों के पुनर्वास में राज्यवार प्रगति को दर्शाना।
• कोविड महामारी के दौरान बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए 1800-121-2830 पर उपलब्ध टोल-फ्री टेलीफोन परामर्श सेवा संवेदना के बारे में जानकारी का प्रसार।
• कोविड-19 के लिए परीक्षण किए गए बच्चों की विभिन्न श्रेणियों के बारे में आधिकारिक वेबसाइट पर अलग-अलग डेटा बनाए रखना, पॉजिटिव पाए गए, ठीक हो गए और वायरस के कारण मर गए, बाल चिकित्सा कोविड देखभाल सुविधाओं को मजबूत करने के लिए विशेष कदम उठाए गए,आदि।
• सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच के लिए डिजिटल सुविधाओं का सार्वभौमिकरण सुनिश्चित करना। इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से पर्याप्त बजट आवंटित किया जाना चाहिए और इसके लिए एक निगरानी तंत्र विकसित करना चाहिए।
• यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं कि महामारी की वजह से बच्चों को बाल श्रम, बाल विवाह या तस्करी जैसी दुर्घटनाओं के शिकार होने के लिए मजबूर करने वाली परिस्थितियों के कारण स्कूल न छोड़ना पड़े।
• बाल देखभाल संस्थानों के बच्चों के लिए विशेष संगरोध केंद्र स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना कि बच्चों की पहुंच परिवार के सदस्यों/वकीलों/परामर्शदाताओं तक या तो कोविड प्रोटोकाॅल को बनाए रखते हुए या टेलीफोन/वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो।
• बाल कल्याण समितियां और किशोर न्याय बोर्ड की कार्यवाही डिजिटल माध्यम से होनी चाहिए। बजटीय सहायता सहित वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के लिए आवश्यक बुनियादी ढ़ांचा प्रदान किया जाना चाहिए।
• जेजेबी, सीडब्ल्यूसी, डीसीपीयू, एसजेपीयू, सीसीआई, चाइल्डलाइन, एएनएम, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि के सदस्यों और कर्मियों सहित मुख्य बाल सरंक्षण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाया जा सकता है और लॉकडाउन के दौरान अप्रतिबंधित आवाजाही प्रदान की जाए।
• बाल देखभाल संस्थानों में वर्तमान में रह रहे बच्चों की संख्या, बाल देखभाल संस्थानों से रिहा किए गए और/या परिवार/अभिभावकों को सौंपे गए, प्रायोजन प्रदान किए गए, और पालन-पोषण संबंधी देखभाल, गोद लेने और रिश्तेदारी देखभाल में रखे गए बच्चों की संख्या के डाटा के अतिरिक्त बाल देखभाल संस्थानों में कोविड पॉजिटिव परीक्षण वाले बच्चों, संगरोध सुविधाओं में रखे गए बच्चों आदि का डाटा सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
• माता-पिता दोनों की मृत्यु के मामले में जहां परिवार या रिश्तेदारों द्वारा देखभाल उपलब्ध नहीं है और बच्चे बिना किसी सहायता के अनाथ पाए जाते हैं, तो यह सुनिश्चित करे कि कानून के अनुसार ऐसे बच्चों को तत्काल पुनर्वास के लिए सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किए जाए।
• जिन बच्चों ने कोविड महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया है, उनके लिए राज्य सरकार के समन्वय से बच्चों के लिए नोडल विभाग को प्रायोजन और पालन-पोषण संबंधी देखभाल को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए।
आयोग ने अपने महासचिव,बिंबाधर प्रधान के माध्यम से संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को लिखे पत्र में परामर्शी में उल्लेखित अपनी संस्तुतियों को लागू करने के लिए कहा है और चार सप्ताह के भीतर इस पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट की मांग की गई है।
केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में महिला और बाल विकास मंत्रालय, गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग और खाद्य और विरतण विभाग शामिल हैं।