यूपी रत्न गालीबाज विद्यालय प्रबन्धक के सामने नतमस्तक हुई कुशीनगर पुलिस
गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद भी वांछित प्रबन्धक को गिरफ्तार नहीं कर पायी पुलिस
आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज
कुशीनगर : कुशीनगर जिले में न्याय बस अब कहने-सुनने के लिए रह गया है। इस जनपद में जिसके पास सोर्स और फोर्स नहीं है उसे किसी भी कीमत पर न्याय नहीं मिलने वाला क्योंकि इस जनपद के अधिकारियों के ऊपर रसूखदार लोग भारी पड़ते हैं। मामला बहुत ही हाईप्रोफाइल है और इससे जिले का कोई भी अधिकारी अनजान नहीं है। जिला मुख्यालय पर स्थित गीता इंटरनेशनल स्कूल के प्रबन्धक ओपी गुप्ता पर बीते 17 अगस्त को ही गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमे के बावजूद 20 दिनों के बाद भी जिले की पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पायी, इससे साफ पता चलता है कि इस जिले में कानून पैसे वालों और रसूखदारों की जागीर बनकर रह गया है। जो गलती ओपी गुप्ता ने की है अगर वही गलती किसी आम आदमी ने की होती तो यही पुलिस जो ओपी गुप्ता की हमदर्द बनी हुई है कब का उस आम आदमी को गिरफ्तार कर जेल में डाल चुकी होती लेकिन ओपी गुप्ता को गिरफ्तार करने में कुशीनगर पुलिस को रूह कांप रही है क्योंकि वो एक रसूखदार और पैसे वाला विद्यालय प्रबन्धक है। इस जनपद में रसूखदारों का बोलबाला है, यहां आपके पास अगर धनबल-बाहुबल है तो आप संगीन से संगीन गुनाह करके भी खुला घूम सकते हैं। जी हां ! ये कटु सत्य है कुशीनगर जनपद का।
वरना एक महिला द्वारा उसके विरुद्ध दर्ज कराए गए गंभीर मामलों में आरोपी होने के बावजूद भी गीता इंटरनेशनल स्कूल का प्रबंधक ओपी गुप्ता अदालत की चौखट पर जाने से पहले जेल में होता, वो भी तब, जब जिले के एएसपी तक ने उसकी गिरफ्तारी के लिए निर्देश दे रखा है। जिले के अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा उस आरोपी गालीबाज प्रबन्धक की गिरफ्तारी के आदेश दिए जाने के बावजूद भी कुबेरस्थान पुलिस अपने साहब के आदेशों को ठेंगा दिखाकर ओपी गुप्ता की गिरफ्तारी से पूरी तरह बच रही है। पुलिस की शाह की देन ही है कि कुबेरस्थान थाने में गम्भीर मामलों का आरोपी गालीबाज प्रबन्धक अब मंगलवार को जिला अदालत में अपनी अग्रिम जमानत की अर्जी पर होने वाली सुनवाई में पहुंचेगा।
वायरल हुआ था प्रबंधक का ऑडियो
गीता इंटरनेशनल स्कूल के प्रबन्धक और महिला शिक्षक के बीच का यह मामला अब बड़ा पेचीदा हो चला है। जिला मुख्यालय पर स्थित गीता इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक ओपी गुप्ता पर स्कूल में ही कार्यरत रही एक महिला ने संगीन आरोप लगाया है। बीते 16 अगस्त को गीता इंटरनेशनल स्कूल के प्रबन्धक ओपी गुप्ता और पीड़ित महिला के बीच बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें ओपी गुप्ता किसी सड़कछाप की तरह गंदी गंदी गालियां देते हुए सुना जा सकता है। इस ऑडियो के वायरल होने के बाद जनपद के छात्रनेताओं ने धरना दिया तो उन्हें बदले में पुलिस की लाठियां मिलीं। उसके बाद पूर्व राज्यमंत्री और सपा नेता ने कलेक्ट्रेट पर धरना देकर इस मामले को राजनीतिक रंग दे दिया जिसकी वजह से छात्रनेताओं का धरना पार्टी विशेष के सिम्बल की भेंट चढ गया और दूसरे छात्रसंगठनों ने इससे दूरी बना ली। असल में ये मुहिम यहीं से कमजोर होनी शुरु हो गई, क्योंकि दूसरी पार्टी के झंडे बैनर तले दूसरे संगठन नहीं जा सकते। हालांकि इस मामले में जनपद के कुबेरस्थान थाने में प्रबंधक के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ पुलिस के अधिकारियों ने उसकी गिरफ्तारी के आदेश भी दिए लेकिन कुबेरस्थान पुलिस द्वारा अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों को धत्ता बताते हुए आजतक उसकी गिरफ्तारी नहीं की गयी।
आखिर क्यों मजबूर है पुलिस तंत्र ?
इस मामले में सोचने वाली बात है कि आखिर ओपी गुप्ता को पुलिस गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही, क्यों और किसके भय से कुशीनगर पुलिस गालीबाज प्रबन्धक पर हाथ डालने से कतरा रही है या यूं कहें तो भय खा रही है। जिन धाराओं में ओपी गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, अगर उन धाराओं में किसी सामान्य व्यक्ति पर केस हुआ होता तो वो अब तक जेल की सलाखों के पीछे होता, लेकिन हैरानी की बात ये है कि पुलिस तंत्र अब तक रसूखदार प्रबन्धक ओपी गुप्ता पर हाथ डालने में नाकाम रहा है। पीड़ित महिला सरकारी हुक्मरानों के दफ्तर के चक्कर लगा लगाकर अब परेशान हो चुकी है। उसने डीआईजी गोरखपुर से लेकर राज्य महिला आयोग तक में गुहार लगाई है लेकिन अब तक कुशीनगर पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। इस विषय में जब भी जिले के आला पुलिस अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने सख्त कार्रवाई करने का भरोसा दिया लेकिन वो सख्ती अभी तक दिखी नहीं। अभी कुछ ही दिन पूर्व एक निजी रेडियो एफएम के कार्यालय में जिले के एएसपी साहब जनता के सवालों का जवाब देने पधारे थे, उस समय पत्रकार आदित्य दीक्षित और अन्य लोगों द्वारा ओपी गुप्ता की गिरफ्तारी के सम्बन्ध में सवाल पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि गिरफ्तारी के लिए टीमें लगा दी गई हैं, लेकिन उन टीमों ने अब तक क्या किया इसके बारे में बोलने के लिए कोई भी तैयार नहीं है..?
पीड़िता के आंसुओं पर हावी हुई राजनीति
एक महिला के मान सम्मान के मामले में कहां तक संवेदनशीलता दिखानी चाहिए लेकिन ठीक इसके उलट वैश्य समाज से जुड़े एक संगठन ने प्रबंधक के पक्ष में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। हैरानी की बात ये है कि उसमें कुछ महिला कार्यकर्ता भी शामिल दिखीं। वहीं इस पूरे प्रकरण को समाजवादी पार्टी के नेताओं ने हैक कर लिया है जिसकी वजह से पीड़िता के इंसाफ की लड़ाई और कमजोर हो गई। अब देखना यह है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिशन शक्ति अभियान, महिला सुरक्षा और सम्मान का नारा देने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में इस बेटी को इंसाफ मिल पाता है या नहीं।