
कोरोना वायरस : वैश्विक कोरोना महामारी से पूरी दुनिया लड़ रही है। अलग -अलग देशों के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से वैक्सीन भी बनाया है आज हमारे बीच अलग-अलग कंपनियों के कई वैक्सीन मौजूद है लेकिन इसके बाद भी कोरोना वायरस के स्वरूप में बदलाव देखने को मिल रहा है कोरोना वायरस का बदलता स्वरूप वैज्ञानिकों की मुश्किलें बढ़ा दी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर के शोधकर्ताओ ने एक रिसर्च किया है। अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के पाँच हजार से भी अधिक रूपांतरित प्रतिरूपों (म्युटेंट वेरिएंट्स) का पता लगाया है।
वायरस का ही संक्रमण का कारण बनता है।
असल मे कोरोना बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस सार्स-कोव-2 में एनवेलोप (E), मेम्ब्रेन (M) और स्पाइक (S) नामक तीन प्रमुख प्रोटीन होती हैं। इन सभी तीन प्रोटीनों में से किसी एक या एक से ज्यादा प्रोटीन का स्वरूप समय के साथ बदल जाता है जब म्युटेंट के प्रोटीन में बदलाव होता है, तो उसकी रक्त-कोशिकाओं से बाइंडिंग यानी जुड़ने की क्षमता भी बदल जाती है। यही कारण है कि हर वेरिएंट का वायरस अलग तरह से असर करता है। और अबतक के अध्ययन में यह पाया गया है कि वायरस का प्रोटीन ही मानव शरीर में उपस्थित एसीई-2 रिसेप्टर से जुड़कर उसे संक्रमित करता है।
क्या होता है म्युटेंट वेरिएंट वायरस।
किसी वायरस में मौजूद प्रोटीन के प्रकार में बदलाव से उस वायरस का मूल रूप बदल जाता है। इस वजह से, वायरस का प्रभाव भी परिवर्तित हो जाता है। ऐसे वायरस को म्युटेंट वेरिएंट कहा जाता है। वेरिएंट, वायरस का उत्परिवर्तित या बदला हुआ प्रकार होता है, जिसको प्रतिरूप भी कहते हैं।
आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं ने किया अध्ययन।
शोधकर्ताओं में IIT इंदौर के बायोसाइंस और बायोमेडिकल साइंस विभाग के प्रोफेसर हेमचंद्र झा और उनकी टीम ने मिलकर शोध किया है। मीडिया से बात करते हुए प्रोफेसर हेमचंद्र झा ने बताया कि उन्होंने अपने शोध में पिछले वर्ष जनवरी से जुलाई के मध्य कोरोना वायरस के नये रूपों के डेटा को दुनिया के विभिन्न लैबोरेटरी से ऑनलाइन माध्यम से कलेक्ट किया है।
विश्वभर से 22 हजार नमूनों का किया गया अध्ययन।
प्रोफेसर हेमचंद्र झा ने बताया कि उन्होंने विश्व की विभिन्न प्रयोगशालाओं से मिले 22 हजार अलग-अलग प्रोटीन आइसोलेट अथवा नमूनों का अध्ययन किया है। अध्ययन में सबसे ज्यादा सार्स-कोव-2 के ‘एस’ प्रोटीन में बदलाव देखे गए हैं।
शोध में कोरोना वायरस के कुल 5,647 म्युटेंट वेरिएंट पाए गए है।
प्रोफेसर हेमचंद्र झा ने बताया कि शोध के दौरान नमूनों के अध्ययन में कोरोना वायरस के कुल 5,647 म्युटेंट वेरिएंट सामने आए हैं। अपने मूल स्वरूप में बदलाव के बाद जहाँ ई प्रोटीन के 42 म्युटेंट और एम प्रोटीन के 156 म्युटेंट पाए गए, तो वहीं एस प्रोटीन के 5449 म्युटेंट मिले हैं, जो सबसे अधिक थे।
क्या होता है S प्रोटीन..?
प्रोफेसर हेमचंद्र झा ने बताया असल मे वायरस के बाहरी आवरण पर कांटों की तरह दिखने वाले प्रोटीन को ही स्पाइक प्रोटीन या एस प्रोटीन कहा जाता है।
IIT इंदौर के शोधकर्ताओं का शोध हेलियान’ में होगा प्रकाशित
प्रोफेसर हेमचंद्र झा ने बताया की हमारे शोध को हेलियान’ में प्रकाशित करने के लिए स्वीकृत किया गया है। आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं में प्रोफेसर हेमचंद्र झा के साथ उनकी टीम में शोधार्थी श्वेता जखमोला, ओमकार इंदारी, धर्मेंद्र कश्यप, निधि वार्ष्णेय, अयान दास और मनीवनन इलंगोवन शामिल हैं।