
आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज
लखनऊ : पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरएलडी प्रमुख अजीत सिंह का गुरुवार की सुबह निधन हो गया, चौधरी अजीत सिंह बीते 22 अप्रैल से संक्रमण से जूझ रहे थे। मंगलवार को अजीत सिंह की तबियत अचानक बिगड़ने पर उन्हें गुरुग्राम के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। चौधरी अजीत फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे थे, बीते 22 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजीत सिंह बागपत से 7 बार सांसद और केंद्र में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री भी रहे।
22 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने के बाद उनके फेफड़े में संक्रमण लगातार बढ़ रहा था जिसके कारण मंगलवार को उनकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई और उन्हें गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन गुरुवार की सुबह उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। चौधरी अजीत सिंह के निधन की खबर सुनकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई चौधरी अजीत सिंह को जाट बिरादरी का एक बड़ा नेता माना जाता था।
चौधरी अजीत सिंह ने अपने राजनीति की शुरुआत 1986 में तब की थी जब उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह बीमार पड़ गए, चौधरी अजीत सिंह को 1986 में पहली बार राज्यसभा भेजा गया उसके बाद 1987 और 1988 में लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे वर्ष 1989 में अपनी पार्टी का जनता पार्टी में विलय करने के बाद उसके राष्ट्रीय महासचिव बन गए। वर्ष 1989 में पहली बार चौधरी अजीत सिंह बागपत से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे और वीपी सिंह की सरकार में उन्हें केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया, इसके बाद 1991 में चौधरी अजीत सिंह बागपत से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे और उन्हें नरसिम्हा राव की सरकार में भी मंत्री बनाया गया तीसरी बार 1996 में वह कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे लेकिन उन्होंने कांग्रेस पार्टी और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। 1997 में चौधरी अजीत सिंह ने अपनी पार्टी लोकदल की स्थापना की और 1997 में उपचुनाव जीतकर बागपत से ही पुनः संसद पहुंचे अगले वर्ष 1998 में हुए चुनाव हार गए लेकिन पुणे 1999 में पांचवी बार जीत कर लोकसभा पहुंच गए, वर्ष 2001 से 2003 तक चौधरी अजीत सिंह अटल बिहारी वाजपेई की सरकार का हिस्सा रहे और सरकार में मंत्री भी रहे, वर्ष 2011 में चौधरी अजीत सिंह यूपीए का हिस्सा बन गए और 2011 से 2014 तक वह यूपीए की सरकार में मंत्री रहे। 2014 में वह मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन चुनाव हार गए, पुनः 2019 का भी चुनाव उन्होंने मुजफ्फरनगर से ही लड़ा लेकिन भाजपा के प्रत्याशी संजीव बालियान से वह चुनाव हार गए।
बताते चलें कि कृषि बिल को लेकर हो रहे किसान आंदोलन की वजह से चौधरी अजित सिंह की पार्टी को काफी फायदा हुआ और उनकी पार्टी आरएलडी ने जिला पंचायत चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।