
आदित्य कुमार दीक्षित
द चेतक न्यूज
कुशीनगर : जनपद के फाजिलनगर कस्बे में अग्रहार साहित्यिक संस्था के तत्वाधान में पुस्तक विमोचन और संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य विद्वानों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में सार्जेन्ट अभिमन्यु पांडेय द्वारा लिखित काव्य संग्रह ‘पहली बार देखा’ के विमोचन किया गया, इस समारोह के मुख्य अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रामदरश राय रहे जबकि संगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व संकायाध्यक्ष डॉ. आद्या प्रसाद द्विवेदी ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. उमाकान्त राय, डॉ. रामनरेश दुबे, डॉ. गौरव तिवारी और श्री आरडीएन श्रीवास्तव शामिल रहे, सभी अतिथियों ने पुस्तक के विमोचन के उपरांत अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम की शुरुआत गायक मनीष मल्ल द्वारा सरस्वती वंदना से हुई, जिसके बाद संगीत शिक्षक मंगल प्रसाद ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया, आयोजक अभिमन्यु पांडेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। स्वागत का क्रम में आयोजक मण्डल ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण करके स्वागत किया।
विदित हो कि रविवार को तुलसी जयंती भी थी इसलिए हिन्दी साहित्य में तुलसीदास के अवदानों की भी समग्र चर्चा हुई। प्रोफेसर रामदरश राय ने गोस्वामी तुलसीदास को हिन्दी का महाकवि बताया साथ ही बताया कि रामचरितमानस ने ही तुलसी को पहचान दिलाई, उन्होंने कहा कि एक कृति ही व्यक्ति की महानता तय करती है। अध्यक्षता कर रहे डॉ. आद्या प्रसाद द्विवेदी ने ढोल गंवार शूद्र पशु नारी दोहे के वामपंथी व्याख्या को सिरे से खारिज किया और बताया कि इस चौपाई की गलत व्याख्या की गई, असल में अवधी भाषा में ताड़न का अर्थ प्रताड़ना नहीं बल्कि देखरेख करना होता है।
संगोष्ठी में डॉ. गौरव तिवारी, आरडीएन श्रीवास्तव, आरके भट्ट बावरा, जितेन्द्र पाण्डेय जौहर आदि सम्मानित वक्ताओं और साहित्यकारों ने अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में आरके भट्ट बावरा, आकाश महेशपुरी , संतोष संगम, मुजीब सिद्दीकी, मैतुल मस्ताना, अवधकिशोर अवधू जैसे रचनाकार, कवि और शायर मौजूद रहे। साथ ही जाने माने समाजसेवी ज्ञानवर्धन गोविन्द राव, प्रख्यात चिकित्सक डॉ. महेन्द्र सिंह, समाजसेवी प्रभुनाथ शुक्ल आदि की गौरवमयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विवेक पाण्डेय ने किया।
बताते चलें कि अग्रहार संस्था कुशीनगर की सबसे पुरानी साहित्यिक संस्था है, अग्रहार जिसका अर्थ होता है शिक्षा का केन्द्र, ये नामकरण प्रख्यात इतिहासकार स्वर्गीय डॉ. चन्द्रमौलि शुक्ल ने किया। साथ ही इस संस्था को मूर्त रूप देने का कार्य स्वर्गीय डॉ. दुक्खी शुक्ल, स्वर्गीय श्री बृहस्पति उपाध्याय सरीखे साहित्यकारों ने किया, ये संस्था अनवरत रुप से साहित्य सेवा और साहित्य सृजन में कार्यरत है। अग्रहार के वर्तमान अध्यक्ष अभिमन्यु पाण्डेय, महासचिव जितेन्द्र जौहर, सचिव अम्बुजेश शुक्ल और संयोजक आकाश महेशपुरी हैं।