“स्वास्थ्य” : इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने डीप लर्निंग से जुड़ी आईएचसी-नेट नाम की एक पद्धति विकसित किया है। इस डीप लर्निंग आधारित तकनीक में एस्ट्रोजन या प्रोजेस्ट्रोन के स्तर का आकलन किया जाता है। असल मे इसमें इम्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री नमूनों का उपयोग किया जाता है, जिससे स्तन कैंसर के स्तर का पता लगाने में मदद मिलती है। डॉ. लिपि महंता और उनकी टीम ने यह अध्ययन गुवाहाटी के बी. बरुआ कैंसर इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किया है।
भारतीय महिलाओं में होने वाले कैंसर के 14 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के होते हैं। कैंसर का उपचार मिलने पर भारतीय महिलाओं के इस बीमारी से ठीक होने की दर 60 प्रतिशत है, जिसमें से 80 प्रतिशत महिलाएं 60 वर्ष से कम उम्र की होती हैं। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में इस बीमारी का समान प्रभाव एवं वितरण देखने को मिलता है। कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है लेकिन लेकिन यह तभी संभव है, जब कैंसर की पहचान और उसका उपचार शुरुआती चरणों में ही आरंभ कर दिया जाए। अब नई तकनीक से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा का उचित आकलन संभव हो सकेगा, जो स्तन कैंसर का एक प्रमुख कारक माना जाता है। इस अध्ययन के दौरान डीप लर्निंग (डीएल) नेटवर्क के आधार पर एक वर्गीकरण पद्धति विकसित की गई है। इस पद्धति में स्तन कैंसर के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स का आकलन करके रोग की पहचान करने में मदद मिल सकती है। इस शोध को ‘अप्लाइड सॉफ्ट कंप्यूटिंग’ शोध पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।